
उत्तराखंड राज्य स्थापना दिवस
उत्तराखंड राज्य की 22 वीं वर्षगांठ पर राज्यवासियों को शुभकामनायें
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने नगर निकाय, ऋषिकेश के 100 वर्ष पूर्ण होने पर आयोजित कार्यक्रम में किया सहभागऋषिकेश को
स्वच्छता माॅडल बनाने हेतु दिया संदेश
विश्व ग्लोब पर उत्तराखंड का विशेष स्थान
सनातन संस्कृति, योग और आध्यात्मिकता का अद्भुत संगम
मेडल लाये और माॅडल बने
ऋषिकेश स्वच्छ नगरी- हरित नगरी
स्वामी चिदानन्द सरस्वती
ऋषिकेश, 9 नवम्बर। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने प्रदेशवासियों को उत्तराखंड राज्य स्थापना दिवस की शुभकामनाएं देते हुये कहा कि हिमालय सा विराट व्यक्तित्व वाला हमारा राज्य सदैव अपनी पवित्रता, आध्यात्मिकता, नैसर्गिक और प्राकृतिक सौंदर्य से समृद्ध रहे, योग की गंगा सदैव प्रवाहित होते रहे तथा नवीन विचारों, नई ऊर्जा, समृद्धि से परिपूर्ण रहे।
आज ऋषिकेश नगर निकाय के 100 वर्ष पूर्ण होने पर प्रेस क्लब, ऋषिकेश मे आयोजित कार्यक्रम में स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने सहभाग कर ऋषिकेश को स्वच्छता माॅडल बनाने हेतु संकल्पित किया। वहां उपस्थित खिलाड़ियों को सम्बोधित करते हुये कहा कि आप व्यक्तिगत रूप से मेडल लाये साथ ही माॅडल भी बने तथा सब मिलकर अपने राज्य को स्वच्छता माॅडल के रूप में विकसित करे। चित्रप्रतियोगिता को देखते हुये कहा कि यह दर्पण की तरह है इससे ऋषिकेश का परिदृश्य पूरी दुनिया के सामने आयेगा।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि उत्तराखण्ड राज्य को स्वयं ईश्वर ने जल, वायु, सदानीरा नदियों, गंगा, पहाड़ों और जंगलों से समृद्ध बनाया है। वास्तव में उत्तराखंड सनातन संस्कृति का रक्षक, अपार शान्ति और आध्यात्मिक ऊर्जा देने वाला प्रदेश है। अपार प्राकृतिक संपदाओं से युक्त यह राज्य आध्यात्मिक ऊर्जा का पावर बैंक है, यह पूरी दुनिया को इनरपावर प्रदान कर सकता है।
स्वामी जी ने कहा कि उत्तराखंड ’भारत का स्विट्जरलैंड भी है और स्पिरिचुअल लैण्ड भी। उत्तराखंड राज्य में तीर्थाटन और पर्यटन की अपार सम्भावनायें है। इसे आॅक्सीजन बैंक, वाॅटर बैंक और आयुर्वेद व जड़ी-बूटी बैंक के रूप में विकसित कर विश्व को एक सौगात दे सकते हंै। हमारा उत्तराखंड विश्व ग्लोब पर एक विशेष स्थान रखता है।
हमारा प्रदेश प्राकृतिक सौन्दर्य से युक्त होने के साथ-साथ यहां पर प्राकृतिक आपदाओं का खतरा भी बना रहता हंै। इस प्रदेश ने कई बार प्राकृतिक आपदाओं का सामना किया व फिर से उठ खड़ा हुआ और यह सब सम्भव हुआ है प्रदेशवासियों की एकजुटता, सहयोग और साहस की भावना से। उत्तराखंड ने भारत की सीमाओं की रक्षा के लिये अनेक जाबाज़ जवान दिये हैं तथा प्रकृति और पर्यावरण की रक्षा के लिये राज्यवासियों ने अनुपम योगदान दिया। अब समय आ गया है कि यहां की संस्कृति, संस्कार, अनाज और सांस्कृतिक शैली की रक्षा करें ताकि आने वाली पीढ़ियां इस दिव्य कल्चर को जान सके।
आज उत्तराखंड स्थापना दिवस के अवसर पर स्वामी जी ने प्रदेश वासियों का आह्वान करते हुये कहा कि आईये इस राज्य की दिव्यता और भव्यता को बनाये रखने मिलकर कार्य करने का कराया संकल्प।