
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी की जिलाधिकारी उत्तरकाशी श्री अभिषेक रोहिला जी से हुई विशेष वार्ता
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी की जिलाधिकारी उत्तरकाशी श्री अभिषेक रोहिला जी से हुई विशेष वार्ता
दिव्यांग मुक्त उत्तराखंड योजना पर हुई चर्चा
उत्तराखंड जल विद्युत निगम लिमिटेड के अधिकारियों से हुई बैठक
जिलाधिकारी उत्तरकाशी श्री अभिषेक रोहिला जी ‘गंगा पुरस्कार’ और विधायक श्री सुरेश चैहान जी को ‘नटराज पुरस्कार’ से सम्मानित
गंगा तट पर हुई दिव्य और भव्य आरती
रूद्राक्ष क्रान्ति की ओर उत्तरकाशी
स्वामी चिदानन्द सरस्वती
ऋषिकेश, 25 नवम्बर। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और जिलाधिकारी उत्तरकाशी श्री अभिषेक रोहिला जी से विशेष भेंटवार्ता हुई। इस अवसर पर परमार्थ निकेतन द्वारा संचालित ‘दिव्यांग मुक्त उत्तराखंड’ योजना एवं माँ गंगा के दोनों तटों पर रूद्राक्ष और अखरोट के पौधों के रोपण के विषयों पर विस्तृत चर्चा हुई। उन्होंने कहा कि अखरोट कल्चर को विकसित कर युवाओं को आजीविका प्रदान कर उत्तराखंड से हो रहे पलायन को कम किया जा सकता है।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने जिलाधिकारी उत्तरकाशी श्री अभिषेक रोहिला जी और विधायक श्री सुरेश चैहान जी को उनके उत्कृष्ट सेवा कार्यों के लिये ‘गंगा पुरस्कार’ और ‘नटराज पुरस्कार’ से सम्मानित किया। तत्पश्चात सभी ने उत्तरकाशी में गंगा तट पर आयोजित दिव्य और भव्य गंगा आरती में सहभाग किया।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने आज उत्तरकाशी यात्रा के दौरान उत्तराखंड जल विद्युत निगम लिमिटेड के अधिकारियों से भी भेंट वार्ता हुई।
स्वामी जी ने कहा कि अब उत्तरकाशी रूद्राक्ष क्रान्ति की ओर अग्रसर होगी। रुद्राक्ष भगवान शिव का प्रसाद स्वरूप सम्पूर्ण मानवता के लिये अमूल्य वरदान है। रूद्राक्ष सकारात्मक ऊर्जा का द्योतक है। वर्तमान समय में रूद्राक्ष पर अनेक अनुसंधान किये जा रहे हैं और इससे पता चलता है कि रुद्राक्ष में एक विशेष स्पदंन होता है। जो शरीर की ऊर्जा को समायोजित कर एक सुरक्षा कवच बना देता है। रुद्राक्ष को प्रकृति की दिव्य औषधि कहा गया है। रूद्राक्ष का रोपण इसलिये भी जरूरी है ताकि उत्तराखंड और चार धाम यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं को प्रसाद स्वरूप रूद्राक्ष प्राप्त हो तथा हमारी संस्कृति और संस्कार भी सुरक्षित रहे।
स्वामी जी ने जिलाधिकारी उत्तरकाशी श्री अभिषेक रोहिल्ला जी को ‘दिव्यांगों’ एवं ‘डिफरेंटली एबल्ड’ को कृत्रिम अंग प्रदान करने हेतु उत्तराखंड़ सहित पूरे भारत में निःशुल्क शिविरों के आयोजन के विषय में बनायी गयी कार्ययोजना की जानकारी प्रदान की। दिव्यांग मुक्त उत्तराखंड के पश्चात यह यात्रा विभिन्न राज्यों से होते हुये पूरे भारत में जायेगी ताकि दिव्यांग बच्चों को आत्मसम्मान, गरिमामय जीवन प्रदान करने के साथ ही उनके चेहरे की मुस्कान को लौटाने का एक अद्भुत प्रयास सभी के सहयोग से सफल किया जा सके।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने बताया कि एक दिन एक बच्ची मुझसे मिलने आयी जो कि दोनों हाथों और पैरों से विकलांग थी। उसने अपनी व्यथा सुनायी जिसे सुनकर मेरा हृदय दृवित हो गया। उस बच्ची की पीड़ा हमारे लिये प्रेरणा बनी, उसके पश्चात दिव्यांग मुक्त उत्तराखंड पहल की शुरूआत की। उन्होंने सभी का आह्वान करते हुये कहा कि इस दिव्य पहल को साकार करने के लिये सभी को एकजुट होना होगा।
इस अवसर पर अरूण सारस्वत, भगत सिंह, नारायण, परमार्थ गुरूकुल के ऋषिकुमार, संदीप ऋषि और उत्तराखंड जल विद्युत निगम लिमिटेड के अधिकारी व स्थानीय लोगों ने सहभाग किया।