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H.H. Pujya Swami Chidanand Saraswatiji | | नववर्ष में रूद्राक्ष वन स्थापना का शुभारम्भ
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नववर्ष में रूद्राक्ष वन स्थापना का शुभारम्भ

Jan 05 2023

नववर्ष में रूद्राक्ष वन स्थापना का शुभारम्भ

जनपद उत्तरकाशी में हुआ रूद्राक्ष के हजारों पौधों का रोपण और लगाये जायेगे हजारों की संख्या कें रूद्राक्ष के पौधे

जनपद उत्तरकाशी में वृक्षारोपण, पौधों का संरक्षण, पौधों के प्रसंस्करण, किसानों का प्रशिक्षण, उन्नत फल, बीज और औषधीय पौधों का संरक्षण तथा माॅडल पौधशाला के निर्माण पर विशद चर्चा

परमार्थ निकेतन आश्रम द्वारा नववर्ष के पावन अवसर पर उत्तरकाशी जनपद में आठ हजार रुद्राक्ष के पौधों का रोपण

जनपद में दो स्थानों पर सुंदर सुरम्य रुद्राक्ष वाटिका निर्माण का कार्य प्रारम्भ

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान के अंतर्गत अखरोट, सेव, चंदन के उन्नत प्रजाति के पौधों को लाभार्थी परिवारों में आवंटित करने की योजना

ऋषिकेश, 4 जनवरी। सतत, समावेशी और हरित विकास लक्ष्य को ध्यान में रखने हुये परमार्थ निकेतन द्वारा जनपद उत्तरकाशी में रूद्राक्ष वन की स्थापना का लक्ष्य रख गया है। विगत वर्ष भी हजारों रूद्राक्ष के पौधों का रोपण किया गया तथा नव वर्ष के अवसर पर पहली खेप में आठ हजार पौधों के रोपण की योजना है। इस अवसर पर किसान क्लस्टर बनाने, उन्नत कृषि और बीज पर भी विचार विमर्श हुआ जिससे किसानों की आय के स्रोत बढ़े, आमदनी बढ़े ताकि वे अपने परिवार का भरण-पोषण ठीक तरह से कर, अपने बच्चों को शिक्षित कर सके। इस अवसर पर नर्सरी निर्माण पर भी चर्चा हुई ताकि यहां आने वाले पर्यटकों को प्रसाद स्वरूप विभिन्न प्रजातियों के पौधों प्राप्त हो तथा स्थानीय लोगों को रोजगार प्राप्त हो सके।

इस योजना से उत्तराखंड के कर्मठ मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी जी भी अत्यंत प्रभावित हुये उन्होंने कहा कि पहाड़ पर रहने वालों की पहाड़ जैसी समस्याओं के निदान के लिये यह अत्यंत आवश्यक है।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के लिए ठोस वैश्विक प्रयासों की आवश्यकता है। सतत विकास के लिए प्रत्येक व्यक्ति और राष्ट्र को अपने हरित लक्ष्यों को प्राथमिकता देने और स्थानीय चुनौतियों, क्षमताओं और उपलब्ध संसाधनों के अनुसार विभिन्न योजनाओं, कार्यक्रमों को सावधानीपूर्वक लागू करने की आवश्यकता है।

स्वामी जी ने कहा कि सनातन धर्म में रुद्राक्ष का विशेष महत्व है। रुद्राक्ष एकमात्र ऐसा वृक्ष है जो प्रकृति की ओर से वरदान स्वरूप है जिसे अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष सभी की प्राप्ति हेतु लाभकारी माना जाता है। शास्त्रों में बताया गया है कि रुद्राक्ष भगवान शिव के नेत्रों से गिरने वाले जल बूंदों से निर्मित हुआ है। रुद्राक्ष धारण करने वालों पर भगवान शिव की कृपा बनी रहती है। नकारात्मक शक्तियां रुद्राक्ष धारण करने वाले के पास भी नहीं आती हैं। उत्तराखंड भ्रमण और चारों धाम की यात्रा हेतु आने वाले यात्रियों एवं पर्यटकों को रूद्राक्ष भगवान शिव के प्रसाद स्वरूप प्राप्त हो। इससे आस्था भी बनी रहेगी और पर्यावरण संरक्षण भी होगा।

स्वामी जी ने कहा कि हाल ही के कुछ वर्षो में वैश्विक जंगलों का 7 प्रतिशत नष्ट हो गया है। हाल के आकलन से संकेत मिलते है कि अगले कुछ दशकों में दस लाख से अधिक प्रजातियाॅं हमेशा के लिये विलुप्त सकती हैं। इसके अलावा जलवायु परिवर्तन भी एक बड़ी समस्या है। वर्तमान स्थिति से यह स्पष्ट हो रहा है कि प्रकृति और मनुष्य के बीच संतुलन को सुधारना जलवायु परिवर्तन की गति को धीमा करने और भविष्य में होने वाले संक्रामक प्रकोप को कम करने का एक तरीका है पौधारोपण और जैव विविधता का संरक्षण सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय कल्याण हेतु आवश्यक है।

हमारी जैव विविधता आध्यात्मिक उत्थान के एक सतत् स्रोत के रूप में भी कार्य करती है, जो हमारे शारीरिक और मानसिक कल्याण से घनिष्ठ रूप से जुड़ी हुई है। मानव एवं प्रकृति के मध्य संतुलित संबंधों को बनाये रखने के लिये प्राकृतिक संपत्ति के संरक्षण और सामाजिक कल्याण के बीच संबंध मजबूत करना होगा तथा प्रकृति-आधारित समाधानों को बढ़ावा देना होगा।

इस टीम के सदस्य श्री मंयक गांधी जी ने महाराष्ट्र में सफल प्रयोग किया है। कुछ वर्षों पहले महाराष्ट्र में किसानों की आत्महत्या ने पूरे देश को दहला दिया था परन्तु श्री मयंक गांधी के नेतृत्व में लाखों-लाखों पौधों का रोपण कर किसानों की आमदनी में वृ़िद्ध हुई और किसान सुखपूर्वक जीवन व्यतीत कर रहे हैं।

इस अभियान से जुड़ने, अपने अनुभवों को बाटंने तथा समय दान, श्रमदान और योगदान देने हेतु चंतउंतजी/चंतउंतजीण्बवउ पर संपर्क कर इस टीम का सदस्य बनाकर उत्तराखंड के लोगों, महिलाओं, बच्चों के उज्वल भविष्य और पहाड़ की समस्याओं को कम करने हेतु योगदान प्रदान कर सकते हैं।

इस बैठक में स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी के पावन सान्निध्य में इन्डियन एसोसिएशन के प्रेसिडेंट श्री वाय पी सिंह जी, उत्तराखंड वन विभाग के सेवानिवृत वरिष्ठ अधिकारी श्री श्रीकांत चंदोला जी, श्री मनीष कुकरेती जी और अन्य विशिष्ट अधिकारी उपस्थित थे।

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