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H.H. Pujya Swami Chidanand Saraswatiji | | परमार्थ निकेतन में पर्यावरण संरक्षण हेतु धर्मगुरूओं का महासंगम
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परमार्थ निकेतन में पर्यावरण संरक्षण हेतु धर्मगुरूओं का महासंगम

Dec 21 2022

परमार्थ निकेतन में पर्यावरण संरक्षण हेतु धर्मगुरूओं का महासंगम

परमार्थ निकेतन में पर्यावरण संरक्षण हेतु धर्मगुरूओं का महासंगम

परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी, अन्तर्राष्ट्रीय महासचिव जीवा, साध्वी भगवती सरस्वती जी, वॉश विशेषज्ञ यूनिसेफ, इन्डिया, मारिजे ब्रोखुइजसेन, अंतर्राष्ट्रीय भजनसुखसेवा मिशन, स्वामी सर्वानन्द सरस्वती जी, अध्यक्ष अंतरराष्ट्रीय महावीर जैन मिशन आचार्य विवेक मुनि जी, स्वामी सुशील जी, राष्ट्र मन्दिर के संस्थापक अजय भाईजी, बौद्ध धर्मगुरू, देहरादून वेन खेंपो कोंचोक रंगडोल, प्रबंधक हेमकुण्ड साहिब गुरूद्वारा, ऋषिकेश सरदार दर्शन सिंह जी, ब्रह्मकुमारी आश्रम, ऋषिकेश आरती जी और अन्य धर्मगुरूओं ने किया सहभाग

दीप प्रज्वलन के साथ विचार मंथन का शुभारम्भ और राष्ट्रगान के साथ समापन

हम प्रकृति के पहरेदार और पैरोकार बनें

स्वामी चिदानन्द सरस्वती

ऋषिकेश, 21 दिसम्बर। परमार्थ निकेतन में विभिन्न धर्मो के धर्मगुरूओं ने सहभाग कर पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में आश्रमों, धर्मगुरूओं और धार्मिक संगठनों का क्या योगदान हो सकता है इस विषय पर विश्द् चर्चा और विचार मंथन किया।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने सभी का आह्वान करते हुये कहा कि हमें प्रकृति का पहरेदार और पैरोकार बनना होगा। उन्होंने कहा कि नेचर एम्बेसडर, वाटर एम्बेसडर और कल्चर एम्बेसडर बनने के लिये युवाओं को प्रेरित करना होगा इसी तरह हम नेचर, कल्चर और फ्यूचर को भी बचा सकते हैं। वर्तमान समय में प्रकृति और संस्कृति के बीच दूरी बढ़ती दूरी जा रही है, प्रकृति व संस्कृति के मध्य बढ़ते असंतुलन को दूर करने तथा सामंजस्य को स्थापित करने हेतु अपने टाइम, टैलेंट, टेक्नाॅलाजी और टेनासिटी के साथ हम सभी को आगे आना होगा क्योंकि प्रकृति व संस्कृति के बेहतर सामंजस्य के लिये पारंपरिक ज्ञान व आधुनिक विज्ञान का बेहतर संतुलन होना अत्यंत आवश्यक हैं।

साध्वी भगवती सरस्वती जी ने कहा कि हमें पारम्परिक जीवन शैली को स्वीकार करना होगा, प्रकृति आधारित जीवन शैली ही संस्कृति का संरक्षण कर सकती है। जिन तटों पर संस्कृतियों का जन्म हुआ वे तट अगर प्रदूषित हो गये तो संस्कृति को प्रदूषित और विलुप्त होते देर नहीं लगेगी इसलिये हमें पारम्परिक जीवन शैली अपनानी होगी।

आचार्य विवेक मुनि जी ने कहा कि पर्यावरण प्रदूषण विश्व की सबसे बड़ी समस्या है। हम पर्यावरण के पोषक है इसलिये अपनी धरा के प्रति मानवता पूर्ण व्यवहार करना हम सभी का कर्तव्य है। पर्यावरण संरक्षण की जिम्मेदारी हम सभी को लेनी होगी।

श्री अजय भाईजी ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण के लिये हमें बड़े आयोजनों जैसे कथायें, विवाह आदि आयोजनों को ग्रीन आयोजनों के रूप में मनाना होगा और इन त्यौहारों को सिंगल यूज प्लास्टिक और प्लास्टिक बाॅटल फ्री आयोजनों के रूप में आयोजित करना होगा। हम सभी को पर्यावरण के सैनिक बनाना होगा।

हरिजन सेवक संघ के राष्ट्रीय महासचिव संजय राय जी ने कहा कि गांधी जी ने सबसे अधिक जोर सफाई पर दिया है। वर्तमान समय में पृथ्वी पर 11 धर्म सक्रिय है और सभी धर्मों के धर्मशास्त्रों में पर्यावरण संरक्षण के विषय में विस्तृत उल्लेख किया गया है, उन दिव्य सूत्रों को एकत्र कर युवा पीढ़ी को पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक किया जा सकता है।

नारायणी जी ने कहा कि हमें ग्रीन प्रेक्टिसेस को बढ़ावा देना होगा और इसके लिये कार्यशालाओं का आयोजन कर पर्यावरण संरक्षण के संदेश को प्रसारित कर सकते हैं।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने सभी पूज्य संतों और अतिथियों को रूद्राक्ष का पौधा भेंट कर सभी का अभिनन्दन किया।

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