
पूज्य स्वामीजी और नमामि गंगे के महानिदेशक की दिल्ली में हुई भेंटवार्ता
ऋषिकेश, 10 जनवरी। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और नमामि गंगे के महानिदेशक श्री जी अशोक कुमार जी की दिल्ली में भेंटवार्ता हुई। इस अवसर पर श्री जी अशोक कुमार जी ने स्वामी जी को वल्र्ड रेस्टोरेशन फ्लैगशिप पहल के रूप में मान्यता प्राप्त पुरस्कार भी दिखाया। इस अवसर पर संयुक्त सचिव श्री जगमोहन गुप्ता जी, पर्यावरण विशेषज्ञ प्रियंका झा जी, गंगा नन्दिनी त्रिपाठी जी उपस्थित थे।
स्वामी जी ने भारत ने 18 वें जी-20 शिखर सम्मेलन की अध्यक्षता का प्रभार संभालने और उस हेतु हो रही 200 बैठकों की जोरदार तैयारी के विषय में चर्चा करते हुये कहा कि इस समय एक मजबूत, टिकाऊ, संतुलित और समावेशी विकास के लिये भारत की अध्यक्षता अत्यंत आवश्यक है।
इस अवसर पर स्वामी जी ने कहा कि नमामि गंगे भारत के माननीय प्रधानमंत्री जी का विज़न है, जो आज साकार होते देखा जा सकता है। स्वामी जी ने कहा कि माँ गंगा की आध्यात्मिक शक्ति के साथ हमें सामाजिक शक्ति के प्रति भी जन समुदाय को जागरूक करना होगा और उसके लिये गंगा के तटों पर आरती शुरू करने हेतु संत समाज, गुरूकुल, आचार्य और शैक्षणिक संस्थाओं की विशेष भूमिका हो सकती है। युवाओं को गंगा स्वच्छता से जोड़ने पर भी विस्तृत चर्चा हुई। गंगा के तटों पर जलज, गंगा म्यूजियम, हर घाट पर हाट, योग वेलनेस सेंटर, गंगा के खूबसूरत घाटों पर पूजन के साथ प्राण तत्व बना रहे आदि विभिन्न पहलुओं पर गहन चर्चा हुई।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि गंगा के तट सदियों से अध्ययन और शोध का केन्द्र रहे हैं; योग, अध्यात्म और वेलनेस का केन्द्र रहे हैं, इस कल्चर को पुनः जीवंत और जागृत बनाये रखने के लिये सभी को मिलकर कार्य करना होगा।
गंगा के तटों पर आकर लोग प्रकृति, पर्यावरण और वाटर टेक्नाजाॅली के विषय में शोध करने के साथ ही अब इनर टेक्नाजाॅजी पर भी शोध करे हमें ऐसे सेंटर विकसित करने होगे। माँ गंगा भारत की जीवनरेखा है, यह भारत की 40 प्रतिशत आबादी, वनस्पतियों, जीव-जन्तुओं की लगभग 25 सौ प्रजातियों और 8Û61 बिलियन वर्ग किमी बेसिन का घरौंदा है इसलिये गंगा को स्वच्छ और प्रदूषण मुक्त रखना हम सभी का परम कर्तव्य है।
नमामि गंगे के महानिदेशक श्री जी अशोक कुमार जी ने कहा कि दिसम्बर माह में परमार्थ निकेतन और नमामि गंगा के संयुक्त तत्वाधान में जो गंगा आरती का प्रशिक्षण दिया गया वह अद्भुत था, इसे आगे भी जारी रखेंगे। गंगा स्वच्छता के लिये परमार्थ निकेतन जैसी संस्थाओं का अद्भुत योगदान है।
संयुक्त राष्ट्र संघ ने भारत की पवित्र नदी गंगा को फिर से जीवंत करने के लिये नमामि गंगे पहल को प्राकृतिक दुनिया को पुनर्जीवित करने वाली विश्व की 10 शीर्ष कायाकल्प (रेस्टोरेशन) फ्लैगशिप पहलों में से एक के रूप में मान्यता दी है, इस हेतु परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने नमामि गंगे के महानिदेशक श्री जी अशोक कुमार को शुभकामनायें अर्पित करते हुये रूद्राक्ष का पौधा भेंट किया।
स्वामी जी ने विश्व हिन्दी दिवस के अवसर पर कहा कि भारत की महान, विशाल, गौरवशाली सभ्यता, संस्कृति और विरासत को सहेजने में हिन्दी का महत्वपूर्ण योगदान है। हिन्दी से जुड़ना अर्थात अपनी जड़ों से जुड़ना, अपने मूल्यों से जुड़ना और अपनी संस्कृति से जुड़ने से है। हिन्दी, न केवल एक भाषा है बल्कि वह तो भारत की आत्मा है। हिन्दी, भाषा ही नहीं हम भारतीयों के दिलों की घड़कन भी है। हिन्दी, दिल की भाषा है और वह दिलों को जोड़ती है। आईये हिन्दी से जुड़े और जोड़े।