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H.H. Pujya Swami Chidanand Saraswatiji | | स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और संत राजस्थान में किया रूद्राक्ष के पौधे का रोपण
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स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और संत राजस्थान में किया रूद्राक्ष के पौधे का रोपण

Nov 28 2022

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और संत राजस्थान में किया रूद्राक्ष के पौधे का रोपण

योगगुरू स्वामी रामदेव जी, स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और मानस कथाकार श्री मुरलीधर जी, आचार्य लोकेश मुनि जी ने केशवप्रिया गौशाला, जोधपुर राजस्थान में किया रूद्राक्ष के पौधे का रोपण और योग

गौ और गंगा की संस्कृति की रक्षा हेतु पौधारोपण जरूरी

स्वामी चिदानन्द सरस्वती

हाई ब्लड प्रेशर, तनाव, डिप्रेशन, स्ट्रोक आदि के मैनेजमेंट हेतु कराया योग, ध्यान और लाफ्टर थेरेपी

ऋषिकेश, 28 नवम्बर। योगगुरू स्वामी रामदेव जी, परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी, मानस कथाकार श्री मुरलीधर जी, आचार्य लोकेश मुनि जी के पावन सान्निध्य में केशवप्रिय गौशाला, जोधपुर राजस्थान में रूद्राक्ष के पौधों का रोपण किया।

इस अवसर पर योग, ध्यान और लाफ्टर थेरेपी के माध्यम से हाई ब्लड प्रेशर, तनाव, डिप्रेशन, स्ट्रोक आदि को मेनेज करने की विधाओं का अभ्यास कराया गया।

योगगुरू स्वामी रामदेव जी ने कहा कि योग करने की नहीं बल्कि जीने की विधा है। योग तन, मन और आत्मा के साथ सम्पर्क स्थापित करने का सबसे सशक्त माध्यम है।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने मानस कथाकार श्री मुरलीधर जी के आशीर्वाद और सान्निध्य प्राप्त केशवप्रिया गौशाला का भ्रमण किया तथा गौ माता की स्थिति देखकर प्रसन्नता व्यक्त की।

स्वामी जी ने केशवप्रिया गौशाला में योग का संदेश देते हुये कहा कि योग अर्थात ‘जोड़ना’। योग भारतीय संस्कृति और ऋषियों की हजारों वर्षों तक की गयी अथक तपस्या का परिणाम हैं। भारत में अनेक मन्दिर हंै जिन पर बनी योग मुद्राओं वाली हजारांे मूर्तियाँ इसका प्रमाण है। भगवत गीता में अनेक बार योग का उल्लेख किया गया है। सिंधु घाटी की सभ्यता, वैदिक सभ्यता तथा बौद्ध दर्शन में योग के अनेक साक्ष्य मिलते है।

स्वामी जी ने कहा कि महर्षि पतंजलि द्वारा रचित योगसूत्र एवं महर्षि वेदव्यास द्वारा रचित योगभाष्य में योग का विशेष उल्लेख किया गया है। अष्टांग योग, योग के आठ आयाम यम, नियम, आसन, प्रणायाम, धारणा, ध्यान, प्रात्याहार, समाधि यह न केवल शारीरिक आसनों को सिखाते हंै बल्कि शरीर का आत्मा से, आत्मा का परमात्मा और प्रकृति से संयोग कराता हैं।

स्वामी जी ने कहा कि प्राणायाम अर्थात प्राणों का आयाम। प्राण का अर्थ जीवन शक्ति एवं आयाम का अर्थ ऊर्जा पर नियंत्रण से है। अर्थात् श्वास लेने की विशेष क्रिया से प्राणों पर नियंत्रण करना। आध्यात्मिक, शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिये योगमय जीवन पद्धति बहुत जरूरी है। यह अंतर्मुखी और बहिर्मुखी दोनों स्थिति में संतुलन स्थापित करता है। जब मन और शरीर अत्यधिक तनावग्रस्त होते हंै तथा प्रदूषण एवं भागदौड़ भरी जिंदगी के कारण रोगग्रस्त हो जाते हैं तो योग ही रामबाण औषधि है जो आरोग्यता प्रदान करता है।

मानस कथाकार श्री मुरलीधर जी ने केशवप्रिया गौशाला में योगगुरू स्वामी रामदेव जी और स्वामी चिदानन्द सरस्वती के आगमन पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुये उनका अभिनन्दन किया।

सभी पूज्य संतों ने मिलकर केशवप्रिया गौशाला में रूद्राक्ष के पौधे का रोपण किया।

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