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H.H. Pujya Swami Chidanand Saraswatiji | | सद्गुरू श्री त्रिकमदास जी धामपीठ नवीन भवन उद्घाटन समारोह
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सद्गुरू श्री त्रिकमदास जी धामपीठ नवीन भवन उद्घाटन समारोह

Nov 27 2022

सद्गुरू श्री त्रिकमदास जी धामपीठ नवीन भवन उद्घाटन समारोह

सद्गुरू श्री त्रिकमदास जी धामपीठ नवीन भवन उद्घाटन समारोह

शिलान्यास समारोह में योगगुरू स्वामी रामदेव जी, स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी, अखाड़ा परिषद् के अध्यक्ष श्री रविन्द्र पुरी जी, आचार्य श्री लोेकेश मुनि जी, केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत जी, पूर्व मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा राजे सिंधिया, केन्द्रीय राज्य मंत्री श्री अर्जुनराम मेघवाल जी, केन्द्रीय राज्यमंत्री श्री कैलाश जी, श्री प्रेमसिंह जी, पूर्व मंत्री पुष्पेन्द्र सिंह जी, श्री जोगेश्वर जी, श्री हमीरसिंह जी, श्री छगन सिंह जी, श्री मशांराम जी और विशिष्ट अतिथियों ने किया सहभाग

आज के दिव्य अवसर पर सहस्त वनवासी गुरूकुलम का भूमि पूजन, तखतगढ़ पीठ आश्रम का

शेखावत जी, पूर्व मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा राजे सिंधिया, केन्द्रीय राज्य मंत्री श्री अर्जुनराम मेघवाल जी, केन्द्रीय राज्यमंत्री श्री कैलाश जी, श्री प्रेमसिंह जी, पूर्व मंत्री पुष्पेन्द्र सिंह जी, श्री जोगेश्वर जी, श्री हमीरसिंह जी, श्री छगन सिंह जी, श्री मशांराम जी और विशिष्ट अतिथियों ने किया सहभाग

आज के दिव्य अवसर पर सहस्त वनवासी गुरूकुलम का भूमि पूजन, तखतगढ़ पीठ आश्रम का उद्घाटन समारोह, विश्व की सबसे ऊँची भारतमाता की प्रतिमा, योग एवं वेलनेस सेंटर, स्किल डेवलपमेंट सेंटर का शिलान्यास तथा विशाल सनातन धर्मसभा का आयोजन

हमारी संस्कृति हमारे देश की आत्मा
संस्कृति बचेगी तो संतति बचेगी
स्वामी चिदानन्द सरस्वती

ऋषिकेश, 27 नवम्बर। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने सद्गुरू श्री त्रिकमदास जी (जीवित समाधी धाम) मूल गद्दी तखतगढ़ धामपीठ राजस्थान में आयोजित शिलान्यास समारोह और विशाल धर्मसभा में सहभाग कर कहा कि राजस्थान की माटी क्रान्ति, शान्ति, संस्कृति और शौर्य की माटी है।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने इस दिव्य आयोजन और सेवाकार्यो के लिये श्री त्रिकमदास जी धामपीठ के आयोजकों का अभिनन्दन करते हुये कहा कि भारतीय संस्कृति प्राचीनता, निरंतरता, विविधता में एकता, सार्वभौमिकता, आध्यात्मिकता और भौतिकता के अद्भूत समन्वय को दर्शाती है इसका संरक्षण अत्यंत आवश्यक है।

स्वामी जी ने राष्ट्र की धरोहर युवा संत श्री अभयदास जी महाराज का जोरदार स्वागत करते हुये कहा कि अभयदास जी ने अपनी जवानी से अनेकों जवानों को दिशा दी हैं, वर्तमान समय में ऐसे ही युवा संतों की आवश्यकता है।

स्वामी जी ने कहा कि हमारी संस्कृति हमारे देश की आत्मा है। संस्कृति से ही हमारे समस्त संस्कारों का बोध होता है जिनके सहारे वर्तमान और भावी पीढियाँ अपने आदर्शों, जीवन मूल्यों, आदि का निर्धारण करती है। अतः साहित्य, कला, संस्कृति के माध्यम से सनातन संस्कारों जीवंत और जाग्रत बनाये रखना जरूरी है।

स्वामी जी ने कहा कि भारतीय संस्कृति का सर्वाधिक सुव्यवस्थित रूप हमें वैदिक युग में प्राप्त होता है। उस काल में भारतीय संस्कृति अत्यंत उदात्त, समन्वयवादी, सशक्त एवं जीवंत रही हैं, जिसमें जीवन के प्रति वैज्ञानिक दृष्टिकोण तथा आध्यात्मिक संस्कारों का अद्भुत समन्वय पाया जाता है। हमारी ‘उदारचरितानां तु वसुधैव कुटुंबकम्’ के सिद्धांत में गहरी आस्था रही है। वर्तमान समय में भी उसकी अत्यंत आवश्यकता है जो इस प्रकार के दिव्य आयोजनों द्वारा सम्भव हो सकती है।

स्वामी जी ने कहा कि भारत की जीवंत संस्कृति को जन-जन तक पहंचाने के लिये जरूरी है कि इस प्रकार के आयोजन हो; सनातन संस्कृति के सम्मेलन हो जहां पर युवा पीढ़ी अपनी संस्कृति को जाने, समझे और जीये।

योगगुरू स्वामी रामदेव जी ने कहा कि भारत की संस्कृति के संरक्षण के लिये अभयदास जी जैसे युवाओं को आगे आना होगा। अब समय आ गया कि युवा शक्ति संस्कृति और संस्कारों की रक्षा हेतु आगे आये।

केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत जी, ने कहा कि इस माटी में महाराणा प्रताप जैसे वीरों को जन्म दिया। राजस्थान की माटी गौरव और शौर्य की माटी है, इस माटी का तिलक कर अनेकों वीरों ने अपनी मातृभूमि के लिये बलिदान कर दिया आज संस्कारों के संरक्षण हेतु आगे आने का समय है।

इस अवसर पर स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने सभी विशिष्ट अतिथियों को हिमालय की हरित भेंट रूद्राक्ष का पौधा भेंट करते हुये सभी को परमार्थ निकेतन गंगा आरती में सहभाग हेतु आमंत्रित किया।

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