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H.H. Pujya Swami Chidanand Saraswatiji | | 17 वां प्रवासी भारतीय दिवस – भारतीय मूल और भारतवंशियों शुभकामनायें
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17 वां प्रवासी भारतीय दिवस – भारतीय मूल और भारतवंशियों शुभकामनायें

Jan 09 2023

17 वां प्रवासी भारतीय दिवस – भारतीय मूल और भारतवंशियों शुभकामनायें

भारत के विकास और समृद्धि में प्रवासी भारतीयों अर्थात् एनआरआई का महत्वपूर्ण योगदान

ऋषिकेश, 9 जनवरी। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने आज 17 वें प्रवासी भारतीय दिवस के अवसर पर भारतीय मूल के निवासियों और भारतवंशियों को शुभकामनायें अर्पित करते हुये कहा कि भारत सदैव सभी के साथ अपनत्व से खड़ा है क्योंकि भारत वसुधैव कुटुम्बकम् के सूत्र को जीता हैं।

स्वामी जी ने कहा कि प्रवासी भारतीय विश्व के किसी भी देश में हो परन्तु उनके दिल में माँ गंगा और अपनी मातृभूमि के प्रति अगाध प्रेम हैं। भारत की विकास यात्रा में प्रवासी भारतीयों का महत्वपूर्ण योगदान हैं वे हर कदम पर हमारे साथ हैं।

विदेशों में भारतीयों को केवल उनकी संख्या के कारण नहीं जाना जाता है बल्कि उनके योगदान, कर्मठता और प्रतिबद्धता के लिये जाना जाता है और उन्हें सम्मानित किया जाता है। प्रवासी भारतीय जहाँ भी रहते हैं, वे उसे ही अपनी कर्मभूमि मानते हैं और पूरी ईमानदारी के साथ वहाँ विकास कार्य में योगदान देते हैं अब जरूरत है तो भारत और प्रवासी भारतीयों के बीच आपसी समन्वय और विश्वास को और अधिक बढ़ाने की ताकि भारत के विकास में सभी का योगदान हो।

भारत सरकार प्रतिवर्ष 9 जनवरी को प्रवासी भारतीय दिवस का आयोजन करती है। भारत सरकार ने इस दिवस को मनाने की शुरुआत वर्ष 2003 में की थी, क्योंकि वर्ष 1915 में इसी दिन महात्मा गांधी दक्षिण अफ्रीका से स्वदेश वापस आए थे।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी जिस भी देश में जाते हैं वहाँ के प्रवासी भारतीयों से अवश्य मिलते हैं। इससे जो अपनत्व की भावना जन्म लेती है वह अद्भुत है, इससे प्रवासी भारतीय भारत की ओर आकर्षित होते हैं। माननीय मोदी जी ने वास्तव में वसुधैव कुटुम्बकम् की भावना को साकार रूप प्रदान किया है।

माननीय मोदी जी भारतीय ‘ब्रेन-ड्रेन’ को ‘ब्रेन-गेन’ में बदलने का अद्भुत कार्य कर रहे हैं। आज इन्दौर में प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन आयोजित करने का प्रमुख उद्देश्य प्रवासी भारतीय समुदाय की उपलब्धियों को मंच प्रदान कर उनको दुनिया के सामने लाना है। अप्रवासी भारतीयों की भारत के प्रति सोच, भावना की अभिव्यक्ति, देशवासियों के साथ सकारात्मक बातचीत के लिये एक मंच उपलब्ध कराना अत्यंत आवश्यक है।

स्वामी जी ने कहा कि अप्रवासी भारतीयों के बीच एक सशक्त नेटवर्क तैयार करने की जरूरत है। साथ ही सार्वभौम समानता एवं परस्पर सम्मान के आधार पर एक – दूसरे के साथ आचरण व व्यवहार करने की आवश्यकता हैं, तभी सभी स्वयं को सुरक्षित महसूस करेंगे और हमारा पर्यावरण और हमारी अर्थव्यवस्थाएं समृद्ध होगी।

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