
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने आयोजित स्वच्छ राजनीतिज्ञ सम्मान समारोह-2022 में अति विशिष्ट अतिथि के रूप में सहभाग
ऋषिकेश, 27 दिसम्बर। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने श्री नित्यानंद स्वामी जन सेवा समिति द्वारा मुख्यमंत्री आवास सभागार में आयोजित स्वच्छ राजनीतिज्ञ सम्मान समारोह-2022 में अति विशिष्ट अतिथि के रूप में सहभाग कर माननीय कर्तव्यनिष्ठ व कर्मयोगी मुख्यमंत्री उत्तराखंड श्री पुष्कर सिंह धामी जी को स्वच्छ राजनीतिज्ञ सम्मान से सम्मानित होने पर उन्हें साधुवाद देते हुये कहा कि स्वच्छ राजनीति तो स्वच्छ राजनीतिज्ञ; स्वच्छ राजनीति तो सुदृढ़ राष्ट्रनीति इसलिये राजनीति में स्वच्छता और शुचिता बहुत जरूरी है।
कर्मठ, कर्मयोगी, कर्तव्यनिष्ठ और यशस्वी मुख्यमंत्री माननीय श्री पुष्कर सिंह धामी जी को स्वच्छ राजनीतिज्ञ से पुरस्कृत करना वास्तव में गौरवपूर्ण है परन्तु सच तो यह है कि यह सम्मान उनसे सुशेभित हुआ है क्योंकि उनकी ईमानदारी, वफादारी और रवादारी इस प्रदेश को प्रारम्भ से ही समृद्ध, सशक्त और सुदृढ़ बना रही है।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने सभी सम्मानित विभूतियों का अभिनन्दन करते हुये कहा कि उत्तराखंड भारत का मस्तिष्क है, देवभूमि है और दिव्य भूमि है और इस दिव्य भूमि को स्वच्छ, पवित्र, सुरम्य और नैसर्गिक सौन्द्रर्य से युक्त बनाये रखने में आप सभी का महत्वपूर्ण योगदान है।
स्वामी जी ने कहा कि उत्तराखण्ड राज्य को स्वयं ईश्वर ने जल, वायु और पवित्र नदियों, पहाड़ों और जंगलों से समृद्ध बनाया है, इसकी समृद्धि, सुन्दरता और शान्ति को बनायें रखने में हेतु माननीय मुख्यमंत्री जी और सभी मंत्रियों का महत्वपूर्ण योगदान है।
उत्तराखण्ड राज्य योग, अध्यात्म, अपार जल से युक्त नदियांे और प्राणवायु आॅक्सीजन से समृद्ध राज्य है। भारत सहित विश्व के अनेक देशों से यहां पर श्रद्धालु और पर्यटक आकर योग, ध्यान एवं साधना करते हैं तथा यहां व्याप्त आध्यात्मिकता को आत्मसात करते हंै क्योंकि उत्तराखंड अपार शान्ति और आध्यात्मिक ऊर्जा देने वाला प्रदेश है। अपार प्राकृतिक संपदाओं से युक्त यह राज्य आध्यात्मिक ऊर्जा का पावर बैंक हैं। पूरी दुनिया को इनरपावर एवं आाध्यात्मिक शक्ति प्रदान करने वाला राज्य है।
स्वामी जी ने कहा कि पहाड़ों की संस्कृति और संस्कारों को जीवंत बनायें रखने में पूज्य संतों के साथ उत्तराखंड वासियों का विशेष योगदान है। उत्तराखंड के पहाड, जंगल, नदियां, ग्लेशियरों़ और यहां की पवित्रता को बचाये रखने के लिये समाज और सरकार दोनों को मिलकर कार्य करना होगा।
स्वामी जी ने कहा कि उत्तराखंड देवत्व से भरा है, अर्पण, तर्पण और समर्पण की संस्कृति से युक्त है। हमें अपने राज्य को पीस टूरिज्म, आॅक्सीजन टूरिज्म, योग और ध्यान टूरिज्म की तर्ज पर आगे लाना होगा। मुझे तो लगता है उत्तराखंड ’भारत का स्विट्जरलैंड भी है और स्पिरिचुअल लैण्ड भी है, इसकी दिव्यता आौर भव्यता को बनाये रखने का संकल्प लें और अपने राज्य की समृद्धि में योगदान प्रदान करें।
स्वामी जी ने सभी सम्मानित विभूतियों को साधुवाद प्रदान किया।