
Pujya Swamiji Graces Site Visit to New Ekatma Dham
On the special invite by the Hon’ble Chief Minister of Madhya Pradesh Shri Shivraj Singh Chouhanji Param Pujya Swami Chidanand Saraswatiji, Pujya Anandmurti Gurumaa, Dr. Chinmaya Pandya, Shri Kamlesh Patel (Daaji) were invited to grace the site visit of the new Ekatma Dham, being planned at Omkareshwar dedicated to Acharya Shankara and his legacy of unity and sharing, spreading Advaita Vedanta. This ambitious project includes Acharya Shankar’s 108 ft Statue of Oneness, a grand museum ‘Advaita Lok’ and Acharya Shankar International Institute of Advaita Vedanta. The work is in progress but the saints were invited to bless the initiative, provide their insights and during their visit they also planted a tree and enjoyed the natural beauty of this sacred pilgrimage.
परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने एकात्म धाम, ओमकारेश्वर शिलान्यास कार्यक्रम में सहभाग कर ‘सांस्कृतिक एकता के देवदूत आदि शंकराचार्य पूरे भारत को एकता के सूत्र में पिरोया’ इस विषय पर उद्बोधन दिया।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि जगदगुरु, धर्मचक्रप्रवर्तक, आदिगुरु, शंकराचार्य जी ने छोटी से उम्र में केरल से केदारनाथ तक और कश्मीर से कन्याकुमारी पैदल यात्रायें कर सांस्कृतिक एकता स्थापित करने के साथ ही वैदिक धर्म को पुनरुज्जीवित कर सनातन संस्कृति को जीवंत बनाने हेतु अद्भुत कार्य किया। उन्होंने तमाम विविधताओं से युक्त भारत को एक करने में अहम भूमिका निभायी। वह भी ऐसे समय जब कम्युनिकेशन और ट्रंासपोर्टेशन के कोई साधन नहीं थे।
स्वामी जी ने कहा कि आदि गुरू शंकराचार्य जी ने भारत का भ्रमण कर हिन्दू समाज को एक सूत्र मंे पिरोया और सांस्कृतिक एकता को बनाये रखने के लिये भारत के चारों कोनों पर, भारत के चारों दिशाओं में ज्योर्तिपीठ, शंृगेरी शारदा पीठ, द्वारिका पीठ, गोवर्धन पीठ आदि चार पीठों के माध्यम से भारत की गौरवमयी परम्परा को स्थापित कर सनातन संस्कृति को जीवंत करने के साथ सांस्कृतिक एकता स्थापित करने का अद्भुत कार्य किया। हिन्दू समाज को एक सूत्र मंे पिरोने हेतु केदारनाथ में पूजा हेतु ‘केसर’ कश्मीर से तो ‘नारियल’ केरल से मगाया और जल, गंगोत्री का और पूजा रामेश्वर धाम में की जाती है, क्या अद्भुत दृष्टि है।
जगद्गुरू शंकराचार्य जी ने कश्मीर से कन्याकुमारी तक, दक्षिण से उत्तर तक, पूर्व से पश्चिम तक पूरे भारत का भ्रमण कर एकात्मकता का संदेश दिया। उनके संदेश का सार यह है कि एकरूपता भले ही हमारे भोजन में और हमारी पोशाक में न हो परन्तु हमारे बीच एकता और एकात्मकता जरूर हो, एकरूपता हमारे भावों में हो, विचारों में हो ताकि हम सभी मिलकर रहें और एक रह। उन्होंने कहा कि एकात्म धाम की न केवल मध्यप्रदेश बल्कि पूरे भारत में सांस्कृतिक एकता की स्थापना हेतु महत्वपूर्ण भूमिका होगी।
माननीय मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चैहान जी ने कहा कि कई बार जनमानस को लगता है कि मुख्यमंत्री के कार्य सड़क बनाना, ब्रिज बनाना और जन कल्याण के कार्य करना है, सरकार का काम विकास करना; उन्नति करना है परन्तु लोगों की जिन्दगी बदले, पूज्य संतों का मार्गदर्शन प्राप्त हो यह भी सरकार का कार्य है।
उन्होंने कहा कि आदिगुरू शंकराचार्य न होते तो भारत ऐसा न होता। भारत का इतिहास हजारों वर्ष पहले का है, जब कहीं सभ्यता के सूर्य का उदय नहीं हुआ था तब भी हमारे यहां वेदों की ऋचायें थी। जो दुनिया आज सोच रही है वह हजारों वर्ष पूर्व इस धरती पर घटित हो चुका था। ये तेरा ये मेरा ये सब छोटे हृदय वालों की बातें हैं, भारत के लिये तो सारी दुनिया ही एक परिवार है।
माननीय मुख्यमंत्री जी ने कहा कि माननीय प्रधानमंत्री जी ने जी-20 का सूत्र ही एक पृथ्वी, एक परिवार और एक भविष्य रखा है क्योंकि यही हमारी संस्कृति है। हमारी प्रार्थना में प्राणियों में सद्भावना और विश्व कल्याण की कामना की जाती है।
श्री मनोज मुन्तशिर जी ने कहा कि सनातन की विचारधारा अत्यंत वैज्ञानिक है। भारतीय संस्कृति के लिये कोई पराया नहीं है, सभी हमारे अपने है। इस अवसर पर उन्होंने वसुधैक कुटुम्बकम् और सर्वे भवन्तु सुखिनः के मंत्रों का जिक्र करते हुये कहा कि भारत वर्ष का बहुत बड़ा दिल है क्योंकि भारत वर्ष आदिगुरू शंकराचार्य जी के विचारों पर चलता है। भारत वर्ष के नसों में विराट दर्शन दौड़ता हैं।
श्री कमलेश पटेल दाजी ने कहा कि जहां शान्ति नहीं वहां सुख की कामना नहीं की जा सकती और जहां पर लोग एक दूसरे से लड़ते हैं वहां पर शान्ति और एकता नहीं हो सकती। हम कहते हैं एकता बहुत जरूरी है परन्तु एकता स्थापित कैसे होगी, यही आदिगुरू शंकराचार्य ने बताया है कि जहां से आध्यात्मिक यात्रा शुरू होती है वहीं से एकता और शान्ति का मार्ग प्रशस्त होता है।
एकात्म धाम, ओमकारेश्वर, मध्य प्रदेश शासन, संस्कृति विभाग द्वारा सांस्कृतिक एकता के देवदूत, अद्वैत दर्शन के प्रखर प्रवक्ता और सनातन संस्कृति के पुनरुद्धारक ‘आदि शंकराचार्य के जीवन और दर्शन से मानवता को अनुप्राणित करने हेतु’ आचार्य शंकर सांस्कृतिक एकता न्यास का गठन किया गया है।
न्यास द्वारा आचार्य शंकर कि ज्ञानभूमि ओम्कारेश्वर को एकात्मता के वैश्विक केंद्र के रूप में विकसित करने हेतु एकात्म-धाम प्रकल्प पर कार्य किया जा रहा है। इस प्रकल्प के अंतर्गत मध्य प्रदेश के खंडवा जिले की पुनासा तहसील स्थित ओंकारेश्वर में आचार्य शंकर की 108 फीट ऊँची एकात्मता की प्रतिमा, अद्वैत लोक – शंकर संग्रहालय तथा आचार्य शंकर अन्तरराष्ट्रीय अद्वैत वेदांत संस्थान की स्थापना की जा रही है। इस सम्पूर्ण प्रकल्प का नाम ‘एकात्म धाम’ रखा गया है।
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