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H.H. Pujya Swami Chidanand Saraswatiji | | Pujya Swamiji Graces Birth Centenary Festival of Most Revered Bhagwatbhushan Puranacharya Pandit Shri Srinath Shastri Shri Dada Guruji
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Pujya Swamiji Graces Birth Centenary Festival of Most Revered Bhagwatbhushan Puranacharya Pandit Shri Srinath Shastri Shri Dada Guruji

Oct 03 2023

Pujya Swamiji Graces Birth Centenary Festival of Most Revered Bhagwatbhushan Puranacharya Pandit Shri Srinath Shastri Shri Dada Guruji

परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने परम पूज्य भागवतभूषण पुराणाचार्य पण्डित श्री श्रीनाथ शास्त्री श्री दादा गुरूजी जन्म शताब्दी महोत्सव ’’श्रीशा’’ में सहभाग कर सम्बोधित किया।

इस दिव्य अवसर पर श्री धाम वृन्दावन में मलूक पीठाधीश्वर स्वामी श्री राजेन्द्रदास देवाचार्य जी के मुखारबिंद से श्रीमद् भागवत महापुराण कथा, श्रीमद्भागवत महापुराण के 335 अध्यायान्तर्गत 18,000 श्लोकों की 11 आवृति के साथ यज्ञाहुति तथा 17 पुराणों का दशांश हवन भी आयोजित किया गया। इस दिव्य कथा में स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी को मुख्य अतिथि के रूप में विशेष रूप से आमंत्रित किया गया।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि शास्त्री परिवार पर ठाकुर जी की दिव्य कृपा है। पीढ़ियों से यह परिवार प्रभु और मानवता की सेवा में समर्पित है। आज हम जिनकी जन्म शताब्दी मना रहे हैं वे बडे ही विद्वान व विन्रम आचार्य थे। मुझे याद है हर वर्ष परमार्थ निकेतन में स्वामी अखंडानन्द जी महाराज और श्रीनाथ जी का परमार्थ निकेतन व वृंदावन की धरती पर अद्भुत मिलन होता था। उन सारी परम्पराओं का निर्वहन यह परिवार दिव्यता के साथ आज भी कर रहा है।

स्वामी जी ने कहा कि अक्सर लोग कहते हैं कि सब कुछ पाने के बाद भी जीवन खाली-खाली रहता है परन्तु इस संसार में कुछ ऐसा है जो पाने जैसा है। हम भारतवासी भाग्यशाली है कि हमें यह सब कुछ मिला है इसलिये हम अपने शेल्फ भरे परन्तु सेल्फ को खाली न रहने दे । शेल्फ भी भरे और सेल्फ भी भरे ताकि बाहर भी शान्ति हो और अन्दर भी शान्ति हो।

स्वामी जी ने कहा कि हमारे अभिन्न मलूक पीठाधीश्वर स्वामी श्री राजेन्द्रदास देवाचार्य जी श्रीमद् भागवत कथा की दिव्य व्याख्या के साथ वेदों, उपनिषदों और भारतीय दर्शन के गूढ़ एवं रहस्यमय विषयों को अत्यंत सरलता के साथ निरूपित कर ज्ञानगंगा का रस पान करते हैं। आप सभी श्री यमुना जी के पावन तट से ज्ञान गंगा को अपने साथ लेकर जाये ताकि शेल्फ भी भरा रहे और सेल्फ भी भर जाये।

स्वामी जी ने हिमालय की हरि त भेंट रूद्राक्ष का पौधा सभी पूज्य संतों, शास्त्री परिवार के सदस्यों और कथा व्यास जी को भेंट किया।

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