
Pujya Swamiji and Pujya Sadhviji Visit Rudraksha Smriti Van, Planted by Parmarth Niketan in Uttarkashi
परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी, डिवाइन शक्ति फाउंडेशन की अध्यक्ष साध्वी भगवती सरस्वती जी और आस्टेªलिया, अमेरिका, मैक्सिको, इंग्लैंड, अफ्रीका आदि अनेक देशों से आये श्रद्धालुओं ने अपनी गंगोत्री यात्रा के दौरान उत्तरकाशी में विभिन्न सामाजिक व पर्यावरणीय गतिविधियों में सहभाग किया।
स्वामी जी के पावन सान्निध्य में सभी ने रूद्राक्ष स्मृति वन का भ्रमण किया। ज्ञात हो कि वर्ष 2013 की उत्तराखंड आपदा के पश्चात परमार्थ निकेतन द्वारा स्मृति वन एवं रूद्राक्ष वाटिकाओं की स्थापना की गयी थी। साथ ही परमार्थ निकेतन और वन विभाग, उत्तराखंड के साथ मिलकर प्रतिवर्ष मानसून में सैकड़ों-सैकड़ों रूद्राक्ष के पौधों का रोपण किया जाता रहा है। स्वामी जी ने स्थानीय लोगों के साथ रूद्राक्ष वन का भ्रमण किया।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने आज अंतर्राष्ट्रीय गरीबी उन्मूलन दिवस के अवसर पर कहा कि उत्तराखंड से गरीबी उन्मूलन व पहाड़ से हो रहे पलायन को कम करने के लिये पहाड़ों पर ही रोजगारों का सृजन करना होगा और इस हेतु हमें पहाड़ पर उगाये जाने वाले अनाज, फल, स्थानीय वस्तुओं को बढ़ावा देना होगा। वहां की जलवायु के अनुसार अखरोट, चंदन, रूद्राक्ष, माल्टा, नीबू आदि पौधों का रोपण करने हेतु स्थानीय लोगों को प्रोत्साहित करना होगा। स्वामी जी ने बताया कि परमार्थ निकेतन ने पहाड़ों पर रहने वाले लोगों को पौधारोपण के लिये प्रोत्साहित करने हेतु बेटी के जन्म पर 11 पौधे भेंट करने का एक उत्कृष्ट कार्यक्रम की शुरूआत की। जिसके अन्तर्गत अखरोट, चंदन, रूद्राक्ष नीबू व माल्टा के पौधे भेंट किये जा रहे हैं ताकि कन्या की उच्च शिक्षा व विवाह के पहले ही वे पौधे फल देना शुरू कर दे।
प्रतिवर्ष 17 अक्टूबर को यूएन द्वारा अंतर्राष्ट्रीय गरीबी उन्मूलन दिवस मनाया जाता है ताकि गरीबी में जीवन यापन करने वाले लोगों और व्यापक समाज के बीच समझ और संवाद को बढ़ावा दिया जा सके। वर्ष 2023 थीम सभ्य कार्य और सामाजिक सुरक्षा- सभी के प्रति सम्मान को व्यवहार में लाना। इस वर्ष की थीम सभी लोगों के लिए मानवीय गरिमा को बनाए रखने के साधन के रूप में सभ्य कार्य और सामाजिक सुरक्षा तक सार्वभौमिक पहुंच का आह्वान करती है। साथ ही सभी के लिये गरिमामय रोजगार, सार्वभौमिक सामाजिक सुरक्षा, मानवता युक्त कार्यों को बढ़ावा देने व सामाजित न्याय की उन्नति को सुनिश्चित करना आवश्यक है।
स्वामी जी ने कहा कि पहाड़ों पर रहने वालों की समस्यायें भी पहाड़ जैसी है इसलिये मानवता व गरिमामय व्यवहार के दायरे से कोई भी बाहर न रहे और कोई पीछे न छूटे। आईये हम संकल्प करें कि इस वर्ष का उत्सव गरीबी में रहने वाले लोगों के साथ एकजुटता से खड़े होने के रूप में मनायें ताकि सभी सम्मानपूर्वक जीवन जी सके।