
Pujya Swamiiji Special Guest at “Aao Nadiyon Ko Jaane” Program Organized by Govt. of Maharashtra
ऋषिकेश, 20 मार्च। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने महाराष्ट्र शासन, सांस्कृतिक कार्य विभाग द्वारा आयोजित ‘‘आओ नदियों को जाने’’ कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में सहभाग कर नदियों के संरक्षण और संवर्द्धन का संदेश दिया।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि प्रसिद्ध अभिनेत्री हेमा मालिनी जी द्वारा प्रस्तुत कार्यक्रम गंगा अवतरण के माध्यम से चारों युगों को अद्भुत रूप से संजोया है। चारों युगों को साथ रखते हुये गंगा जी की दिव्य गंगा कथा के माध्यम से पूरे विश्व को जिस प्रकार से प्रस्तुत किया है वह अद्भुत, दिव्य, अलौकिक एवं अवर्णनीय है। स्वामी जी ने सभी का आह्वान करते हुये कहा कि इस शो को सभी को देखना चाहिये। पहली बार इस तरह के अद्भुत प्रोग्राम का आयोजन हुआ है, जब महाराष्ट्र सरकार ने 75 नदियों को आज़ादी के 75 वें अमृत महोत्सव पर जीवंत और जागृत करने का आह्वान किया है। इस वर्ष भारत, जी – 20 की अध्यक्षता कर रहा है। इस समय भारत के यशस्वी, तपस्वी, ऊर्जावान प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी का विज़न है कि प्रत्येक प्रदेश के लोग अपनी – अपनी नदियों के संरक्षण और संवर्द्धन के लिये मिलकर कार्य करें।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने सांस्कृतिक कार्य विभाग, महाराष्ट्र सरकार द्वारा आयोजित अद्भुत आयोजन ‘नदियों को जाने’ हेतु महाराष्ट्र सरकार को धन्यवाद देते हुये कहा कि आज तक नदियों के पावन तटों से ही गंूजें संस्कृति के स्वर; एकता के स्वर, इन्हीं नदियों के तटों में हमें सभ्यतायें मिली, संस्कृति, संस्कार मिले परन्तु अब नदियाँ अपनी प्रदूषित दशा देखकर मौन हो गयी, उस मौन को तोड़ने के लिये मिलकर कार्य करना होगा। स्वामी जी ने कहा कि आईये मौन को तोड़े और करे मिलकर काम, नदियों को जाने, नदियों को जियें।
स्वामी जी ने कहा कि जल की हर बंूद में जीवन है इसलिये उसका उपयोग भी उसी प्रकार करना होगा। पानी बचेगा तो प्राणी बचेंगे, जल बचेगा तो जीवन बचेगा, जीविका बचेगी, जिन्दगी बचेगी, जल जागरण को जन जागरण बनाना होगा, जल चेतना, जन चेतना बने, जल क्रान्ति जन क्रान्ति बने, ‘जल है, तो कल है’, जल है तो जीवन है इसलिये आईये नदियों के पैरोकार बनें पहरेदार बनें। जल हमारे जीवन का आधार, आस्था और विकास की प्रमुख धारा है। जल को बनाया तो नहीं जा सकता परन्तु संरक्षित जरूर किया जा सकता है। जल का मुद्दा किसी संगठन, राज्य और राष्ट्र का नहीं बल्कि सम्पूर्ण मानवता का है इसलिये नदियों को जीवंत और जागृत बनाये रखने के लिये हम सभी की ग्रीन क्रिएटिविटी और ग्रीन रिस्पान्सबिलिटी बहुत जरूरी है।
स्वामी जी ने ‘नदियों को जाने’ बेहतरीन और शानदार आयोजन के लिये सभी को धन्यवाद दिया। आज अन्तर्राष्ट्रीय प्रसन्नता दिवस के अवसर पर स्वामी जी ने कहा कि पानी है तो प्रसन्नता है; नो वाॅटर नो लाईफ, पानी है तो प्राणी है, आने वाली पीढ़ियों की प्रसन्नता को बनाये रखना है; उनकी मुस्कान को बनाये रखना है तो आईये मिलकर जीवनदायिनी नदियों को जीवन प्रदान करें।
इस अवसर पर माननीय राज्यपाल महाराष्ट्र श्री रमेश बैस जी, विधानसभा अध्यक्ष, महाराष्ट्र श्री राहुल नार्वेकर जी, मा सांस्कृतिक कार्य विभाग मंत्री महाराष्ट्र सरकार श्री सुधीर मुनगंटीवार जी, मुख्य सचिव महाराष्ट्र, श्री मनु कुमार श्रीवास्तव आई.ए.एस, प्रसिद्ध फिल्म निर्माता सुभाष घई जी, श्री रमेश सिप्पी जी, फिल्म अभिनेता जैकीश्राॅफ जी, संगीतज्ञ श्री सुरेश वाड़ेकर जी, अंबानी परिवार श्रीमती कोकिला बेन अंबानी जी, श्रीमती राजश्री बिड़ला एवं श्री ज्योति हिन्दूजा, फिल्मीजगत, उद्योगजगत की हस्तियों ने सहभाग कर ‘नदियों को जाने और नदियों को जियंे’ हेतु किया संकल्प।
सांस्कृतिक कार्य विभाग, महाराष्ट्र सरकार द्वारा ’नदियों को जाने’ कार्यक्रम का आयोजन किया गया।