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H.H. Pujya Swami Chidanand Saraswatiji | | Pujya Swamiji Addresses Devotees at Conclusion of Srimad Bhagavad Katha Week at Geeta Bhavan
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Pujya Swamiji Addresses Devotees at Conclusion of Srimad Bhagavad Katha Week at Geeta Bhavan

May 16 2024

Pujya Swamiji Addresses Devotees at Conclusion of Srimad Bhagavad Katha Week at Geeta Bhavan

Pujya Swamiji, President of Parmarth Niketan addressed devotees at the conclusion of the Srimad Bhagavad Katha Week ‘Premayagna’ held at Geeta Bhavan. Highlighting the importance of unity in diversity on the International Day of Living Together in Peace, he emphasized listening and respecting others to foster peace and resolve conflicts. Pujya Swamiji stressed the need to enhance cultural understanding to build a just and inclusive world. He also pointed out the pervasive pollution of speech, air, and thought, advocating for adopting scriptural teachings to address these issues. Pujya Swami Murtimanth Ji, who led the Katha, noted its purifying effects on speech, heart, and wealth. Pujya Swamiji presented him with a Rudraksha sapling from the Himalayas as a symbol of green harmony.


स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने श्रीमद् भागवत कथा सप्ताह ’प्रेमयज्ञ’ के समापन अवसर पर सहभाग कर श्रद्धालुओं को किया सम्बोधित
शांति से एक साथ रहने हेतु अंतर्राष्ट्रीय दिवस
मतभेदों और विविधता में एकजुट का संदेष

परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने गीता भवन में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा सप्ताह ’प्रेमयज्ञ’ में सहभाग कर गुजरात सहित देष के विभिन्न प्रदेषों से आये श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुये कहा कि श्रीमद् भागवत कथा, भक्ति मार्ग पर चलने का सबसे सहज पथ है। कथा श्रवण से प्रभु की भक्ति, भक्ति की षक्ति और फिर मुक्ति प्राप्त होती है।

श्रीमद् भागवत कथा सप्ताह ’प्रेमयज्ञ’ श्री स्वामी मूर्तिमंत जी महाराज (जो कि गुजरात के 9 इस्कॉन टेम्पल्स के प्रमुख हैं) के मुखारविंद से हो रही है।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि हमारे षास्त्र हमें विविधता में एकता, प्रेम, षान्ति और एकजुटता के साथ रहने का संदेष देते हैं। आज ’इंटरनेशनल डे ऑफ लिविंग टूगेदर इन पीस’ के अवसर पर स्वामी जी ने कहा कि शांति से एक साथ रहने से तात्पर्य है आपसी मतभेदों से ऊपर उठकर जीवन में आगे बढ़ते हुये दूसरों को सुनना व सम्मान करना है। जब तक हम दूसरों को सुनेंगे, समझेंगे व संवाद स्थापित नहीं करेंगे तब तक समस्याओं का समाधान प्राप्त नहीं हो सकता।

वर्तमान समय में बहुत जरूरी है व्यक्तियों और समुदायों के बीच शांति, सहिष्णुता, समावेशिता, समझ और एकजुटता को बढ़ाना। जब तक व्यक्ति, समाज, राष्ट्रीय व अन्तराष्ट्रीय स्तर पर शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व, आपसी सम्मान और सद्भाव स्थापित नहीं होता तब तक षान्ति की संस्कृति स्थापित नहीं की जा सकती।

स्वामी जी ने कहा कि षान्ति की स्थापना के लिये सांस्कृतिक पुलों को भी मजबूत करना होगा क्योंकि जैसे – जैसे सांस्कृतिक समझ बढ़ेगी वैसे-वैसे एक शान्तिपूर्ण, न्यायसंगत, समावेशी, टिकाऊ और सह-अस्तित्व से युक्त दुनिया का निर्माण सम्भव है। आज का दिन आपसी पूर्वाग्रहों और भेदभावों से उपर उठकर सहानुभूति और करुणा के महत्व को प्रतिबिंबित करता है।

कथा व्यास स्वामी श्री मूर्तिमंत जी ने कहा कि श्रीमद् भागवत कथा, वाणी को षुद्ध करती है, हमारे अन्तःकरण को पवित्र करती है और कथा का आयोजन हमारे धन को भी षुद्ध करता है। कथा, केवल श्रवण का नहीं बल्कि मनन और चितंन का षास्त्र है।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा वर्तमान समय में पूरे वातावरण में तीन प्रमुख प्रदूषण व्याप्त है वाणी प्रदूषण, वायु प्रदूषण व वैचारिक प्रदूषण। वाणी व वैचारिक प्रदूषण का सामधान हमारे षास्त्रों और कथाओं ने निहित है, उनके उपदेषों को आत्मसात कर इन प्रदूषणों का षमण किया जा सकता है। वायु प्रदूषण के लिये हमें अपने व्यवहार पर ध्यान देना होगा। हमारे आस-पास व्याप्त सभी प्रकार के प्रदूषणों की षुरूआत हमारे दिमाग व विचारों से ही षुरू होती हैं, इसिलिये दिमाग में ही शांति की स्थापना व सुरक्षा के निर्माण का बीज डालना होगा। स्वामी जी ने कहा कि शांति केवल संघर्ष या युद्ध की अनुपस्थिति नहीं है, बल्कि करूणा, प्रेम और अपनत्व का विचार है जिसे पूर्ण रूप से आत्मसात कर एक सहिष्णुता युक्त वातावरण का निर्माण किया जा सकता है।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कथा व्यास स्वामी श्री मूर्तिमंत जी महाराज को हिमालय की हरित भेंट रूद्राक्ष का पौधा भेंट किया।

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