
Pujya Swamiji and Revered Saints Perform Maharudrabhishek at Shri Kashi Vishwanath Campus
परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और पूज्य संतों ने आज श्री काशी विश्वनाथ परिसर में महारूद्राभिषेक कर 2 नवम्बर, 1990 को हुये गोलीकांड में मृत कारसेवकों को श्रद्धाजंलि अर्पित कर उनकी आत्मा की शान्ति हेतु प्रार्थना की।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि फायरिंग; गोलियाँ चलाने से किसी भी समस्या का समाधान कभी नहीं प्राप्त हो सकता। शान्ति व समरसता के वातावरण को बनाये रखना सरकार, समाज व संत समाज सभी की साझा जिम्मेदारी है।
स्वामी जी ने कहा कि विविधताओं में एकता ही भारत की सामासिक संस्कृति की स्वर्णिम गरिमा को आधार प्रदान करती है। वैदिक काल से सामासिक संस्कृति भारत का अभिन्न अंग रही है।
भारत की संस्कृति यह नहीं है कि धर्म और संप्रदाय के नाम पर संपूर्ण समाज तथा राष्ट्र के व्यापक हितों के विरुद्ध कार्य किया जाये। सांप्रदायिकता को भारत के राष्ट्रीय एकीकरण की दिशा में बाधा न बनने दे क्योंकि यह विचारधारा एकता व राष्ट्रीयता को कमजोर करती है।
स्वामी जी ने कहा कि अगर समाज विभाजित होगा तो कोई भी राष्ट्र प्रगति नही ंकर सकता। वैदिक काल मे भारतीय समाज में विभिन्न धर्मों को मानने वाले लोग शांतिपूर्वक एक साथ रहते थे तथा शांति और धार्मिक सहिष्णुता की नीति का पालन करते थे। उस समय तो धर्म लोगों के जीवन का एक महत्त्वपूर्ण अंग था परन्तु कोई सांप्रदायिक विचारधारा या सांप्रदायिक राजनीति नहीं थी।
वर्तमान समय में भी सभी को भारत की सभी संस्कृतियों और परंपराओं के प्रति सहिष्णु धार्मिक नीति का पालन करना होगा ताकि निर्दोष लोग किसी भी हिंसा का शिकार न हो सके। हम सभी का परम कर्तव्य है मानवाधिकारों को संरक्षण प्रदान करना व सामाजिक सामंजस्य, बंधुत्व एवं संवैधानिक मूल्यों को बनाये रखना।
सभी पूज्य संतों ने मृतक कारसेवकों की सद्गति हेतु भगवान भोलेनाथ से प्रार्थना की |