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H.H. Pujya Swami Chidanand Saraswatiji | | Pujya Swamiji Attends Indian Yoga Association’s State Chapter National Conference
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Pujya Swamiji Attends Indian Yoga Association’s State Chapter National Conference

Mar 04 2023

Pujya Swamiji Attends Indian Yoga Association’s State Chapter National Conference

ऋषिकेश/दिल्ली, 4 मार्च। भारतीय योग संघ के स्टेट चेप्टर का दिल्ली में राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया गया, जिसमें श्री श्री रविशंकर जी, स्वामी चिदानंद सरस्वती जी, डॉ एच आर नागेंद्र जी, स्वामी भारत भूषण जी, मुनि जी और अन्य विशिष्ट अतिथियों ने सहभाग किया। डा हंसा जी ने सभी विशिष्ट अतिथियों का अभिनंदन किया।

भारतीय योग संघ के स्टेट चेप्टर राष्ट्रीय सम्मेलन में सभी विशिष्ट अतिथियों ने योग को भारत के हर घर, घाट, हाट से लेकर वैश्विक स्तर पर भी योग से सभी को जोड़ने हेतु विशद् विचार विमर्श किया।

परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि योग खुद को तलाशने, खुद को तराशने और अनलॉक करने की विधा है। योग केवल मैट पर ही नहीं होता बल्कि बिना मैट के दैनिक जीवन में और अपने कार्यो में भी अत्यंत उपयोगी है। योग के द्वारा हम अपने जीवन को तनावमुक्त बना सकते हैं जो आज की सबसे बड़ी जरूरत है। योग का मार्ग ही व्यक्ति को निरोगता के पथ पर ले जाना है, इसलिये करें योग और रहें निरोग।

स्वामी जी ने कहा कि जीवन में हम योगी बन सकें या ना बन सकें कोई बात नहीं परन्तु सहयोगी और उपयोगी जरूर बनंे। श्वासों के अनुलोम विलोम के साथ-साथ विचारों का अनुलोम-विलोम भी कीजिये। नकारात्मक विचार बाहर. और सकारात्मक विचार भीतर. यही वास्तव में प्राणायाम और योग है। मन को पद्मासन में बिठाइए. तन को वज्रासन में रखिये, मस्तिष्क को सूर्य नमस्कार कराइये और होठों से लाफ्टर योग करिये। हंसिये और हंसाईये। इससे मन शांत होगा, समस्याओं का समाधान मिलेगा और तनाव कम होगा।

योग न केवल शारीरिक आसनों का नाम है बल्कि योग, शरीर का आत्मा से, आत्मा का परमात्मा और प्रकृति से भी संयोग योग कराता है। योग सिर्फ आसनों तक ही सीमित नहीं है बल्कि यह मनुष्य को आध्यात्मिक ऊँचाईयों तक पहुँचाता है। योग में सनातन ज्ञान के साथ आधुनिक विज्ञान भी समहित है, जो जीवन जीना सिखाता है। योग केवल व्यायाम नहीं बल्कि एक जीवन पद्धति है। योग हमें स्वयं को खोजने और स्वयं से जुड़ने में भी मदद करता है। गीता में भगवान श्री कृष्ण ने कहा है-‘‘योगः कर्मसु कौशलम्’’ योग, हमारे हर कर्म में कुशलता लाता है इसलिये योग को हर घाट और हर हाट तक पहुंचाना अत्यंत आवश्यक है।

श्री श्री रविशंकर जी ने योग के व्यापक प्रसार-प्रचार हेतु मिलकर कार्य करने का संदेश दिया।

इस अवसर पर श्री सुबोध तिवारी, डॉ. एस.पी. मिश्रा, गंगा नन्दिनी त्रिपाठी, आचार्य दीपक शर्मा और अन्य विभूतियों ने सहभाग किया। भारतीय योग संघ भारत में प्रमुख योग संस्थानों और संगठनों का एक स्व-नियामक निकाय है। यह सभी योग संगठनों और परम्पराओं को एकजुट करने का उत्कृष्ट प्रयास कर रहा है। साथ ही यह संगठन वैश्विक स्तर पर योग के प्रचार और उन्नति के लिये प्रतिबद्ध है। यह हजारों योग जिज्ञासुओं के साथ ही भारत के सभी राज्यों और केन्द्रशासित प्रदेशों में इसकी स्थानीय समितियां है। यह संगठन सक्रिय नीति सलाहकार के रूप में कार्य करता है।

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