
Pujya Swamiji Chief Guest at International Public Relations Festival
परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने पब्लिक रिलेशंस सोसइटी आॅफ इन्डिया द्वारा दिल्ली में आयोजित तीन दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय जनसम्पर्क महोत्सव में सहभाग कर कहा कि पीआर का तात्पर्य कलेक्शन नहीं बल्कि कनेक्शन है।
इस अवसर पर राज्यसभा सदस्य श्री सुधांशु त्रिवेदी जी, राज्यसभा सदस्य श्री नरेश बंसल जी, एएएफटी विश्व विद्यालय के कुलपति और मारवाह स्टूडियों के डाॅयरेक्टर डा संदीप मारवाह जी की विशेष रूप से उपस्थिति रही।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि भारत का परम हथियार शान्ति है, जो किसी पर वार नहीं बल्कि जीवन को हर परिस्थिति के लिये तैयार करता है क्योंकि जीवन न शो है न शोर है बल्कि वह तो शान्ति का प्रतीक है। भारत जमीन का एक टुकड़ा नहीं बल्कि भारत तो शान्ति की धरती है और उसी शान्ति का संदेश भारत ने पूरे विश्व को दिया है। भारत के शान्ति व वसुधैव कुटुम्बकम् के दिव्य सूत्रों को न केवल भारत बल्कि पूरे विश्व ने देखा, जाना और अनुभव किया। ये दिव्य मंत्र सबसे बड़े पीआर के मंत्र हैं जिन्होंने पूरे विश्व को एक परिवार के रूप में बांध कर रखा है। वसुधैव कुटुम्बकम् केवल मंत्र नहीं है बल्कि मैजिक है; म्यूजिक है जिन्होंने न खुद को बल्कि पूरे विश्व को बांध दिया। भारत कभी ताकत व तलवार के बल पर आगे नहीं बढ़ा बल्कि भारत अपनी संस्कृति व संस्कारों के बल पर सदैव आगे बढ़ता रहा है और बढ़ता रहेगा। भारतीय संस्कारों की ही वह ताकत है जो पूरे संसार को एकत्रित रख सकती है। पीआर के बल पर व्यापार बढ़ाया जा सकता है, परन्तु प्यार के बल पर परिवार बढ़ाया जा सकता है, बचाया जा सकता है और बनाया जा सकता है। भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने इसी तरह से अपने कार्यों; विचारों, संस्कारों के द्वारा अपने पीआर का पूरा उपयोग करते हुये भारत को नई ऊचाँईयां प्रदान की है।
पीआर केवल कलेक्शन नहीं बल्कि कनेक्शन है और जब कनेक्शन जुड़ते हैं तो व्यक्ति का दिल जुड़ता है और फिर पूरी दुनिया जुड़ जाती है।
मीडिया समाज का मीडियम है। भारत ने जी-20 जैसे आयोजनों के माध्यम से अपनी प्रोफाइल को बदला है अब हमारी बारी है कि हम अपनी प्रोफाइल को कैसे बदले। भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी सबसे बड़े पीआर वाले व्यक्तित्व हैं।
वर्तमान समय में वैश्विक समस्याओं के समाधान के लिये युद्ध नहीं बल्कि योग है समाधान इसलिये अपनी परम्पराओं से जुडें, जड़ों से जुड़ें और अपने बच्चों को भी जोडें। योग और आयुर्वेद ये हमारी संस्कृति है इसलिये अपनी जड़ों, मूल व मूल्यों से जुडें़। यह वह समय है जब माता-पिता को स्वयं को ही पीआर बनना होगा और इसके लिये कुछ करना नहीं बल्कि होना है और अपनी संस्कृति को जीना है इसलिये खुद पर काम करें, परिवार पर काम करें तो घर और परिवार दोनों सुन्दर बन जायेंगे। सीएसआर के साथ एचएसआर भी अत्यंत आवश्यक है।
इस कार्यक्रम में राज्यसभा सदस्य श्री सुधांशु त्रिवेदी जी और राज्यसभा सदस्य श्री नरेश बंसल जी ने भी अपने बहुमूल्य विचार रखे।
इस अन्तर्राष्ट्रीय कार्यक्र्रम के आयोजन हेतु स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने पब्लिक रिलेशंस सोसाइटी आॅफ इन्डिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष डाॅ अजित पाठक जी को साधुवाद देते हुये कहा कि भारतीय मूल्यों और उभरते हुये भारत को पूरे विश्व के सामने लाना अत्यंत आवश्यक है। भारतीय मूल्यों, परम्पराओं, आध्यात्मिक शक्ति और हमारे प्राचीन ज्ञान के भंडार से पूरी दुनिया को अवगत कराने की दिशा में यह महोत्सव अद्भुत कदम होगा।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने डा अजित पाठक जी और सभी विशिष्ट अतिथियों को रूद्राक्ष का पौधा आशीर्वाद स्वरूप भेंट किया।