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H.H. Pujya Swami Chidanand Saraswatiji | | Pujya Swamiji Chief Guest at Shri Mota Ambaji Inauguration Ceremony
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Pujya Swamiji Chief Guest at Shri Mota Ambaji Inauguration Ceremony

Sep 29 2023

Pujya Swamiji Chief Guest at Shri Mota Ambaji Inauguration Ceremony

परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने श्री अंबा जी आश्रम ‘‘श्री मोटा अंबाजी’’ जगत जननी अंबा भवानी मन्दिर के नूतनीकरण मन्दिर के शुभारम्भ अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में विशेष रूप से सहभाग कर संदेश दिया कि शक्ति ब्रह्माण्ड की ऊर्जा का स्रोत है। शक्ति है तो संस्कृति है, शक्ति है तो प्रकृति है।

श्री मोटा अंबाजी मन्दिर के इतिहास के विषय में जानकारी देते हुये स्वामी जी ने कहा कि वर्ष 1950 के आसपास भारत के पूर्व प्रधानमंत्री, गृहमंत्री एवं अन्य पदों को सुशोभित करने वाले श्री मोरार जी देसाई द्वारा उनकी अपनी जमीन प्रदान की गयी उसके पश्चात महंत व्यवस्थापक श्री मोटा अंबाजी आश्रम, श्री पुष्करराय आर जानी जी एवं समस्त जानी परिवार ने अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया। धीरे-धीरे जनसमुदाय जुड़ता चला गया और यह कारवां बढ़ता चला गया। आज लगभग 11 करोड़ की लागत से बना यह शानदार, भव्य व दिव्य मन्दिर बनकर तैयार हो गया।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने श्री मोटा अंबाजी मन्दिर प्रांगण में पूजा-अर्चना कर मन्दिर के द्वार भारत सहित पूरे विश्व के श्रद्धालुओं के लिये खोल दिये। प्रभु कृपा से, माँ की कृपा से इस दिव्य मन्दिर के भूमि पूजन का भी अवसर प्राप्त हुआ और 15 महीनों में तैयार इस भव्य व दिव्य मन्दिर के उद्घाटन में सहभाग का भी अवसर प्राप्त हुआ। आज हमने केवल मन्दिर के द्वार नहीं खोले बल्कि हम सभी के घट के द्वार भी खोले ताकि जो हमारे अन्दर शक्ति है और जो बाहर शक्ति है उनका एहसास हम कर सके।

भारतीय धर्म, सनातन धर्म के अनुसार हमारे उपासनास्थल दिव्यता से युक्त होते हैं। मन्दिर केवल ईट-पत्थरों से बनी इमारत नहीं है बल्कि यह अपने आराध्य की अराधना, पूजा-अर्चना का देवस्थान है। आदि गुरू शंकराचार्य जी ने भी मठों की स्थापना कर पूरे राष्ट्र को एक करने का संदेश दिया था। अर्थात हमारे पूजा स्थल एकता, समरसता और सद्भाव के प्रतीक है।

इस अवसर पर स्वामी जी ने सनातन संस्कृति के विषय में जानकारी देते हुये कहा कि सनातन अर्थात् शाश्वत, सत्य पर आधारित, सब के लिये, सदा के लिये, सनातन को किसी काल, परिस्थिति, व्यक्ति, जाति, धर्म, संस्कृति, क्षेत्र व राष्ट्र से नहीं बांधा जा सकता क्योंकि वह तो शाश्वत सत्य है। सनातन धर्म का प्रर्वतक आदियोगी शिव हैं। जिस प्रकार शिव अजन्मा है, उसी प्रकार सनातन भी स्वविकसित है, स्व निर्मित है। यह निरंतर प्रवाहमान है, इसे रोका नहीं जा सकता। सनातन का मूल ऊँ है, और ऊँ में ही सब समाया है। ऊँ सभी धर्मों का मूल है, ऊँ में ब्रह्मण्ड का नाद है।जिस प्रकार ब्रह्मण्ड से उसके नाद को हटाया नहीं जा सकता उसी प्रकार पृथ्वी से सनातन को नहीं हटाया जा सकता। गौतम बुद्ध ने कहा है ’’एस धम्मो सनंतनो’’ गुरूनानक ने कहा है ’’एक ओंकार’’ अनेक संतों के उपदेशों, संदेशों ने सनातन का दिव्यता से उल्लेख किया गया है।

स्वामी जी ने कहा कि सनातन एक दिव्य धारा है जिसे न कोई रोक सकता है और न कोई अवरूद्ध कर सकता है। यह प्रकृति का धर्म है, जिस प्रकार प्रकृति का स्वभाव है देना उसी प्रकार आदि काल से सनातन ने हमें दिया है चाहे हो जीने का विज्ञान हो या प्रकृति, अध्यात्म हो या विज्ञान, संस्कार हो या संस्कृति, पद्धति हो या परम्परा सभी सनातन काल से चली आ रही है, हमने समय के साथ, वक्त और परिस्थितियों के हिसाब अपनी सहजता के लिये कुछ बदला है परन्तु वास्तविक मूल हो वही है।

स्वामी जी ने कहा कि शक्ति, (देवी) ब्रह्माण्ड की ऊर्जा का स्रोत है। जो सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड की शक्ति का संचालन करती है। देवी दुर्गा -सुरक्षा की देवी, लक्ष्मी जी-ऐश्वर्य की देवी और सरस्वती जी – ज्ञान की देवी है। शक्ति, मुक्ति का प्रतीक है। हमारे अस्तित्व का आधार है। शरीर में पाये जाने वाले रजस, तमस और सत्व का सार है।

गीता में वर्णित योगमाया यही शक्ति है जो व्यक्त और अव्यक्त रूप में हैं। श्री कृष्ण ‘योगमायामुवाश्रितः’ होकर ही अपनी लीला करते हैं और श्री राधाजी उनकी आह्वादिनी शक्ति है। शिव शक्तिहीन होकर कुछ नहीं कर सकते। शक्तियुक्त शिव ही सर्वत्र है। शक्ति व प्रकृति से ही समस्त ब्रह्मांड का संचालन होता है। आईये सनातन संस्कृति के दिव्य संदेशों और मन्दिरों की दिव्यता व पवित्रता को बनाये रखने का संकल्प लें।

इस पावन अवसर पर स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने महंत व्यवस्थापक श्री मोटा अंबाजी आश्रम, श्री पुष्करराय आर जानी जी, श्री राकेश पी जानी, राज राकेश जानी, रामराज जानी, जनक पी जानी, वीर जनक जानी और समस्त जानी परिवार को रूद्राक्ष का दिव्य पौधा भेंट किया।

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