
Pujya Swamiji Distinguished Guest at Shri Bhagwan Parshuram Sena National Research Seminar and Sant Samagam in Haridwa
In the inaugural session of the Shri Bhagwan Parshuram Sena National Research Seminar and Sant Samagam held today in Haridwar at the Avadhoot Mandal Ashram , HH Param Pujya Swami Chidanand Saraswatiji – Muniji, the Hon’ble Senior Member National Self Service Association, Shri Indresh Kumarji; Trustee श्री राम जन्मभूमि, अयोध्या – Shri Ram Janmabhoomi, Ayodhya, Shri Kameshwar Chapalji; Founder Patron President Shri Pandit Sunil Bharalaji; senior social worker Dr. Harish Tripathiji and other distinguished guests participated.
भगवान श्री परशुराम राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी एवं संत समागम
दो दिवसीय संगोष्ठी-अवधूत मंडल आश्रम, राम नगर हरिद्वार
उद्घाटन सत्र में परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी, माननीय वरिष्ठ सदस्य राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ श्री इन्द्रेश कुमार जी, न्यासी श्री रामजन्मभूमि न्यास, अयोध्या श्री कामेश्वर चौपाल जी, संस्थापक संरक्षक राÛ पÛ पÛ माननीय श्री सुनील भराला जी, वरिष्ठ अधिवक्ता श्री शिवप्रसाद मिश्र जी, वरिष्ठ समाजसेवी डा हरीश त्रिपाठी जी और अन्य विशिष्ट अतिथियों ने किया सहभाग
वाट्सअप ज्ञान से वैज्ञानिक ज्ञान की ओर बढें
स्वामी चिदानन्द सरस्वती
भारत अपने ज्ञान, विज्ञान और परम्पराओं से श्रेष्ठ
डा इन्द्रेश कुमार
ऋषिकेश, 19 जून। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने अवधूत मंडल आश्रम में आयोजित भगवान परशुराम राष्ट्रीय शोध पर आधारित दो दिवसीय संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र में सहभाग किया। इस अवसर पर माननीय वरिष्ठ सदस्य राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ श्री इन्द्रेश कुमार जी, स्वामी संतोषानन्द जी महाराज, स्वामी तुलसी जी महाराज, श्री नटवरलाल जोशी जी, न्यासी श्री रामजन्मभूमि न्यास, अयोध्या श्री कामेश्वर चौपाल जी, संस्थापक संरक्षक राÛ पÛ पÛ माननीय श्री सुनील भराला जी, वरिष्ठ अधिवक्ता श्री शिवप्रसाद मिश्र जी, वरिष्ठ समाजसेवी डा हरीश त्रिपाठी जी, उनके विश्वविद्यालय के कुलपति और अन्य विशिष्ट जन उपस्थित हुये।
इस संगोष्ठी में भगवान श्री परशुराम जी की समाज और राष्ट्र हेतु सांस्कृतिक देन, उनका समग्र व्यक्तित्व, कर्मभूमि और तपोभूमि की खोज, युगानुकुल प्रासंगिकता, अम्बा प्रसंग, वैदिक व पौराणिक आधार पर उनका जीवन दर्शन, वैदिक संस्कृति के अप्रतिम संरक्षक जैसे अनेक विषयों पर चितंन और मंथन किया जा रहा है।
संगोष्ठी को सम्बोधित करते हुये स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि भगवान परशुराम शस्त्र और शास्त्र दोनों दृष्टि से महान थे। उनके पास अन्याय की समाप्त करने के लिये परसा था तो न्याय की स्थापना हेतु प्रभु श्री राम की दिव्य शक्तियां थी।
स्वामी जी ने कहा कि भारत देश की माटी और थाती को प्रणाम करता हूँ। भारत की जनता की श्रद्धा को प्रणाम। हरिद्वार में हो रहा यह सम्मेलन बहुत महत्वपूर्ण है। हरिद्वार में 12 वर्ष बाद पूर्ण कुम्भ और 6 वर्ष बाद अर्द्ध कुम्भ होता है। यहां पर सागर मंथन से अमृत निकला और फिर उस अमृत कलश से अमृत की कुछ बूंदे यहां गिरीं और आज भी लाखों-लाखों श्रद्धालु यहां पर एक डुबकी और आचमन के लिये आते हंै। आज सागर मंथन की यात्रा स्वयं के मंथन की यात्रा बनें। इस देश में महाभारत हुआ लेकिन अब महाभारत नहीं बल्कि इसे महान भारत बनाने की जरूरत है इसलिये परशुराम जी के परशु को फिर से परिभाषित करने की जरूरत है। अब पर्यावरण का परशु; फरसा हम सभी अपने हाथ में ले लें तथा इससे पर्यावरण की रक्षा करें। आज हमारे कल्चर, नेचर और फ्यूचर की रक्षा करना बहुत जरूरी है। स्वामी जी ने कहा कि हम वाट्सअप ज्ञान से वैज्ञानिक ज्ञान की ओर बढ़े, भारतीय संस्कृति वाट्सअप ज्ञान पर नहीं बल्कि ऋषियों द्वारा दिये गये ज्ञान पर आधारित है। आज जो छोटे-छोटे मुद्दों को लेकर हमारे समाज में जो हिंसा हो रही हैं उसकी भी उन्होंने निंदा की और कहा कि हिंसा धर्म नहीं हो सकती। आज संवाद की आवश्यकता है, विवादों से दूर रहें और न्याय में निष्ठा रखते हुये संविधान में विश्वास रखे। यदि कोई समस्या है तो न्यायालय में जायें और समाधान प्राप्त करें।
आज इस समारोह में उपस्थित विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपति गणों तथा काशी विद्वत परिषद् के विद्वानों के साथ हमारी संस्कृति और शास्त्रों पर चिंतन के लिये परमार्थ निकेतन सदैव तैयार है। उन्होंने कहा कि अभी हमारे पास संस्कारी सरकार है। अब हमें पर्यावरण के परशु की आवश्यकता है। पर्यावरण के परशु को लेकर आगे बढ़ें। वैचारिक संस्कृति की रक्षा के लिये हमें परशुराम का परशु लाना होगा। जनसंख्या नियंत्रण पर विचार व्यक्त करते हुये कहा कि भारत में जनसंख्या नियत्रंण करना होगा। जनसंख्या का मुद्दा धर्म का नहीं धरती का मुद्दा है; पैसों का नहीं पर्यावरण का मुद्दा है तथा पानी का मुद्दा है। पानी नहीं होगा तो प्रयाग कैसा; पानी नहीं होगा तो हरिद्वार कैसा।
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की कार्यकारिणी के वरिष्ठ सदस्य माननीय श्री इन्द्रेश कुमार जी ने कहा कि हमारा देश सनातन था, सनातन है और सनातन रहेगा। भारत अपने ज्ञान, विज्ञान और परम्पराओं से श्रेष्ठ है। हमारी संस्कृति वसुधैव कुटुम्बकम् की संस्कृति है। सनातन संस्कृति में हिंसा का कोई स्थान नहीं है। ऐसा देखने में आता है कि कई बार लोग हमारे शास्त्रों को माईथोलाॅजी कहने लगते हैं। अगर हम ही अपने शास्त्रों को माइथोलाॅजी कहेगे तो सत्य कैसे स्थापित कर सकते हैं। हमारी संस्कृति में हमारे शास्त्र फिलासफी है माइथोलाजी नहीं, एक जीवन दर्शन हंै। भगवान श्री राम और परशुराम जी का अवतार मानवता के हित के लिये है।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने गोबर के गमले में लगा रूद्राक्ष का पौधा माननीय इन्द्रेश जी और अन्य विशिष्ट अतिथियों को भेंट किया और पर्यावरण संरक्षण का संकल्प कराया।