
Pujya Swamiji Graces Amrit Mahotsav Closing Ceremony in Kolkata
परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने हावड़ा कोलकाता, पश्चिम बंगाल में आयोजित अमृत महोत्सव के समापन अवसर पर रूद्राक्ष का पौधे वितरित कर हरित पर्व-हरित महोत्सव का संदेश दिया।
परमार्थ गुरूकुल के ऋषिकुमारों ने यज्ञ व वेदमंत्रों का गायन किया, जिससे पूरे वातावरण की ऊर्जा ही बदल गयी।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने आज महात्मा ज्योतिबा फुले जी की पुण्यतिथि पर उन्हें भावभीनी श्रद्धाजंलि अर्पित करते हुये कहा कि महात्मा फुले ने देश से छुआछूत खत्म करने और समाज को सशक्त बनाने की दिशा में अहम भूमिका निभायी। उन्होंने समाज को कुरीतियों से मुक्त कराने, बालिकाओं और दलितों को शिक्षा से जोड़ने हेतु अद्भुत कार्य किये। वर्तमान समय में उनके कार्यों को आगे बढ़ाना, समाज में समानता लाना ही उनके लिये सच्ची श्रद्धाजंलि होगी।
स्वामी जी ने अमृत महोत्सव के मंच से जीरो से पांच साल तक के बच्चों को नियमित टीकाकरण करवाने का आह्वान करते हुये कहा पांच साल सात बार छूटे न टीका एक भी बार। उन्होंने कहा कि हम पर्वो और त्यौहारों पर उत्सव मनाते है उसी प्रकार टीका उत्सव (टीकाकरण उत्सव) भी मनाये।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि महात्मा गांधी जी ने कहा है कि जो बदलाव तुम दुनिया में देखना चाहते हो, वह खुद में लेकर आओ। आज जरूरत है महात्मा फुले व महात्मा गांधी के विचारों से युवा पीढ़ी को जोड़ने की। युवा पीढ़ी को समानता से युक्त समाज के निर्माण हेतु प्रेरित करने की, ताकि समाज में करुणा, सहिष्णुता और शांति का वातावरण तैयार किया जा सके।
स्वामी जी ने कहा कि विश्व की सारी समस्याओं का समाधान नैतिकता व नैतिक मूल्यों में समाहित है। अब समय आ गया कि युद्ध को नहीं बल्कि शांति को अपना हथियार बनायें, आतंकवाद से अध्यात्मवाद व मानवाधिकार की ओर बढ़े।
हाशिये के समूहों और उत्पीड़ित समुदायों की आवाज को सुनने और उन्हें समाज के मुख्य धारा में लाने के लिये मिलकर प्रयास करने की नितांत आवश्यकता है और इस हेतु पहले हमें अपने दृष्टिकोण को बदलने की जरूरत है।
स्वामी जी ने कहा कि वर्तमान समय में पूरा विश्व वैश्वीकरण, निजीकरण और उदारीकरण जैसे शब्दों का प्रयोग कर रहा है वहीं दूसरी ओर हिंसा, उग्रवाद, असमानता, गरीबी और विषमता भी समाज में व्याप्त है ऐसे में महात्मा फुले व महात्मा गांधी के विचारों को आत्मसात कर समृद्ध समाज का निर्माण किया जा सकता है।
अमृत महोत्सव के समापन अवसर पर स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने रूद्राक्ष का पौधा रोपित कर हरित पर्व का संदेश दिया।