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H.H. Pujya Swami Chidanand Saraswatiji | | Pujya Swamiji Graces Beginning of Shri Hemkund Sahib Yatra with Governor of Uttarakhand from Gurudwara Hemkund Sahib, Rishikesh
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Pujya Swamiji Graces Beginning of Shri Hemkund Sahib Yatra with Governor of Uttarakhand from Gurudwara Hemkund Sahib, Rishikesh

May 22 2024

Pujya Swamiji Graces Beginning of Shri Hemkund Sahib Yatra with Governor of Uttarakhand from Gurudwara Hemkund Sahib, Rishikesh

The Hemkund Sahib Yatra commenced today with great reverence as Honorable Governor of Uttarakhand, Shri Lt. Gen Gurmeet Singh ji Lt Gen Gurmit Singh President Parmarth Niketan, Pujya Swami Chidanand Saraswatiji – Muniji, and other distinguished guests honored the pilgrims with garlands and presenting a sacred Rudraksha plant. Pujya Swamiji emphasized the spiritual significance of Uttarakhand, referring to it as both “Switzerland” and “Spiritual-land” due to its divine energy, majestic Himalayas, and the holy Ganga river. He encouraged pilgrims to maintain the purity of the environment and embrace the spiritual teachings of Guru Gobind Singh Ji throughout their journey.


श्री हेमकुंड साहिब यात्रा का शुभारम्भ
गवर्नर, उत्तराखंड श्रीमान गुरमीत सिंह जी और परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने हरी झंड़ी दिखाकर गुरूद्वारा हेमकुंड साहिब, ऋषिकेष से यात्रियों के दल को किया रवाना
हेमकुंड साहिब यात्रा की सफलता व सुगमता हेतु की प्रार्थना
श्री गुरु गोबिंद सिंह जी द्वारा रचित दसम ग्रंथ में चमोली, उत्तराखंड प्रसिद्ध तीर्थ स्थान गुरुद्वारा श्री हेमकुंड साहिब का उल्लेख

ऋषिकेष, 22 मई। गुरूद्वारा हेमकुंड साहिब, ऋषिकेष से आज परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और गवर्नर, उत्तराखंड श्रीमान गुरमीत सिंह जी ने हरी झंड़ी दिखाकर श्री हेमकुंड साहिब यात्रियों के दल को षुभकामनायें देकर रवाना किया तथा हरित यात्रा की याद में रूद्राक्ष का पौधा भेंट किया।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि उत्तराखंड आध्यात्मिक ऊर्जा का पावर बैंक है। चाहे चार धाम यात्रा हो या श्री हेमकुंड़ साहिब यात्रा हो यहां आने पर  हृदय अध्यात्म और आनन्द से भर जाता है। यह षान्ति, षक्ति और श्क्ति की भूमि है। यह हमारा स्विट्जरलैण्ड भी है और स्पिरिचुअललैण्ड भी है क्योंकि यहां पर माँ गंगा है और हिमालय भी है इसलिये यह पूरे विष्व को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है।

गवर्नर, उत्तराखंड श्रीमान गुरमीत सिंह जी ने श्री हेमकुंड साहिब जाने वाले सभी यात्रियों को षुभकामनायें देते हुये कहा कि पहाड़ की संस्कृति व संस्कारों को बनाये रखते हुये इस दिव्य यात्रा का आनन्द ले।

स्वामी जी ने कहा कि गुरू नानक देव जी से लेकर दसवें गुरू, गुरूगोबिंद सिंह जी ने जीवन के बड़े ही प्यारे मंत्र दिये। ’’नाम जपना, हमेशा ईश्वर का सुमिरन करना, किरत करना और ईमानदारी से आजीविका अर्जित करना। वंड छकना, अर्थात दूसरों के साथ अपनी कमाई साझा करना, जरूरत मंदों को दान देना एवं उनकी देखभाल करना।

वास्तव में यही जीवन जीने व सेवा करने का माध्यम है। ईमानदारी से जीवन जीना, अपराध से दूर रहना और प्रकृति के अनुरूप जीना यही सच्चा धर्म है। हर क्षण प्रभुनाम का सुमिरण करना इस मंत्र के साथ आप सभी अपनी यात्रा का संकल्प लें क्योंकि उŸाराखंड पर्यटन की नहीं तीर्थाटन की भूमि है। आज्ञा भई अकाल की, तभी चलायो पंथ, सब सिखन को हुक्म है, गुरू मानियो ग्रंथ। अद्भुत संदेष है गुरु गोबिंद सिंह जी का उसे आत्मसात कर अपनी यात्रा का षुभारम्भ करे। यह यात्रा जागृति और नई ऊर्जा के समावेष की है।

स्वामी जी ने कहा कि आज अंतर्राष्ट्रीय जैव विविधता दिवस भी है, पृथ्वी पर जीवन को बनाए रखने के लिये जैवविविधता के महत्त्व के बारे में जागरूकता बढ़ाना होगा ताकि प्रकृति के साथ सद्भाव युक्त व्यवहार हो। उत्तराखण्ड तो प्राकृतिक सौन्दर्य, अपार जल से युक्त नदियांे और प्राणवायु ऑक्सीजन से समृद्ध राज्य है। इस राज्य में ऑक्सीजन, जल, आयुर्वेद व जड़ी-बूटी, योग, ध्यान व अध्यात्म चारों ओर समाहित है। यहां पर अपार प्राकृतिक संपदा है। यह राज्य आध्यात्मिक ऊर्जा का पावर बैंक हैं जो पूरी दुनिया को इनरपावर; आध्यात्मिक षक्ति व श्क्ति देने वाला देवत्व से युक्त राज्य है इसलिये उŸाराखंड की इन वादियों में प्रवेष करते ही अपनी जीवनषैली को बदलना होगा, हमें ग्रीड कल्चर से ग्रीन कल्चर की ओर बढ़ना होगा। ग्रीड कल्चर से नीड कल्चर की ओर बढ़ना होगा। नीड कल्चर से नये कल्चर की ओर कदम बढ़ाने होंगे। साथ ही यूज एंड थ्रो कल्चर से यूज एंड ग्रो कल्चर की ओर बढ़ना होगा और सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग बिल्कुल बंद करना होगा। आप यात्रा पर जाये परन्तु उŸाराखंड की पवित्रता का भी ध्यान रखे। यहां के जल, वायु और पवित्र नदियों, पहाड़ों और जंगलों की समृद्धि को बनाये रखे।

उŸाराखंड के इस नैसर्गिक समृद्धि, सुन्दरता और षान्ति को बनायें रखने के लिये सहयोग प्रदान करे। अपने कचरे की जिम्मेदारी स्वयं लंे, वाटरबाट्ल्स को जंगल में ही फेंक कर न आये। इन पहाड़ों की संस्कृति और संस्कारों को जीवंत बनायें रखने के लिये पहाड़वासियों का महत्वपूर्ण योगदान है। यहां की पवित्रता को बचाये रखने के लिये सभी को एकल उपयोग प्लास्टिक से परहेज करना होगा।

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