
Pujya Swamiji Graces Gau Hospital Bhoomi Pujan During Gopashtami Festival
परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने गोपाष्ठमी महोत्सव एवं श्रीमद् भागवत कथा के दिव्य अवसर पर आयोजित गौ हॉस्पीटल भूमि पूजन में सहभाग कर कहा कि गौ, गंगा, गौरी, गायत्री और गोवर्धन (पर्वत) भारतीय संस्कृति की नींव है।
देवी चित्रलेखा जी के दिव्य मार्गदर्शन व सान्निध्य में होडल, पलवल, हरियाणा में गौ सेवा धाम हॉस्पीटल का निर्माण किया जा रहा है। आज गोपाष्टमी के अवसर पर गौ सेवा धाम हॉस्पीटल की नींव रखी गयी।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि ये हॉस्पीटल की नींव नहीं बल्कि यह करूणा की नींव है। दिल में करूणा बहती तभी यह सम्भव हो पाता है। हॉस्पीटल बनाना तो अपने आप में महत्वपूर्ण है परन्तु गौ माता के लिये हॉस्पीटल बनाना और भी ज्यादा महत्वपूर्ण है। जब दिल में करूणा प्रवाहित होती है तभी ऐसे दिव्य विचार आते हैं। यह सोच ही अभिनन्दनीय है। हमारे शास्त्रों में गौ माता में दिव्यता व पवित्रता से युक्त कहा गया है। धार्मिक, सामाजिक-आर्थिक और सांस्कृतिक दृष्टि से मानव जीवन के लिये गौ माता एक वरदान है। वह ममत्व से युक्त अत्यंत संवेदनाशील प्राणी है जिसका भारत की श्वेत क्रांति और ग्रामीण समृद्धि में महत्वपूर्ण योगदान है।
स्वास्थ्य के लिये गौ उत्पादों से बना पंचगव्य एक रामबाण औषधि है जो गौ माता के पाँच उत्पादों दूध, दही, घी, गोबर और मूत्र के मिश्रण से निर्मित किया जाता है, वैज्ञानिक दृष्टि और आयुर्वेद के अनुसार पंचगव्य से कई रोगों का उपचार किया जा सकता है।
स्वामी जी ने कहा कि भारतवासियों को गाय और गौ वंश के संरक्षण व संवर्द्धन के लिये आगे आना होगा क्योंकि गौ संस्कृति ही जैविक खेती के द्वार खोल सकती है। उन्होंने कहा कि गौ संरक्षण अर्थात अपनी संस्कृति का संरक्षण और साथ ही रोजगार का संवर्द्धन। गौ उत्पादों और गौधन के द्वारा नये रोजगार का सृजन कर हमारे युवा आत्मनिर्भर भारत की ओर बढ़ सकते हैं। शास्त्रों में वर्णित है कि गौ माता के गोबर में लक्ष्मी जी का वास है वास्तव में गौ माता के गोबर से दीयों, मोमबत्तियों, धूप, अगरबत्ती, हवन सामग्री, मूर्तियांे का निर्माण कर धन और व्यवसाय का सृजन किया जा रहा है। आईये मिलकर गायों का संरक्षण और विकास करें।
स्वामी जी ने कहा कि देवी चित्रलेखा जी ने गौ माता के हॉस्पीटल की नींव रखकर वास्तव में अद्भुत कार्य किया हैं। गौ संरक्षण हमारी प्राचीन संस्कृति के संरक्षण का द्योतक है।
स्वामी जी ने गौ के गोबर से बने कंडों का यज्ञ-हवन, होली दहन, और शवदाह हेतु भी उपयोग करने हेतु सभी को प्रेरित करते हुये कहा कि इससे कटते जंगलों को काफी हद तक रोका जा सकता है और वायु प्रदूषण को भी कम करने में यह कारगर होगा।
इस अवसर पर स्वामी जी ने जीरो से पांच वर्ष तक के बच्चों का सम्पूर्ण टीकाकरण हेतु प्रेरित करते हुये कहा कि जिस प्रकार बच्चांे को पोषण के लिये माता का दूध व गौ माता का दूध जरूरी है उसी प्रकार टीकाकरण भी अत्यंत आवश्यक है।
स्वामी जी ने कहा कि बच्चे किसी भी राष्ट्र का भविष्य होते हैं, बच्चे सुरक्षित अर्थात उस राष्ट्र का भविष्य सुरक्षित व समृद्ध। जन्म से लेकर पांच वर्ष बच्चों के जीवन के लिये महत्वपूर्ण होते हैं। चाहे शारीरिक तौर पर हो, संस्कारों के रोपण के लिये हो या आध्यात्मिक सूत्रों व मूल्यों के रोपण के लिये हो पांच वर्ष अत्यंत महत्वपूर्ण होते हैं। बच्चों के जीवन व भविष्य को खुशहाल बनाने के लिये उनका सम्पूर्ण टीकाकरण अत्यंत आवश्यक है और टीकाकरण आपके आसपास के सरकारी स्वास्थ्य केन्द्रों पर निःशुल्क उपलब्ध है।
आईये संकल्प लें – पांच सात सात बार छूटे न टीका एक भी बार। अपने पांच साल तक के बच्चों को बीमारियों से बचायेंगे, सब काम छोड़ टीका लगवायेंगे। टीकाकरण है पूरे परिवार की जिम्मेदारी
इस दिव्य अवसर पर स्वामी जी ने देवी चित्रलेखा जी और पूज्य संतों को रूद्राक्ष का दिव्य पौधा भेंट किया।