
Pujya Swamiji Graces International Digital Temple Connect Conclave
परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने हरिद्वार में आयोजित अन्तर्राष्ट्रीय डिजिटल मन्दिर काॅनेक्ट काॅन्क्लेव में सहभाग कर उद्बोधन दिया कि जातियों की खाईयाँ और नफरत के कुयें न खोदें क्योंकि आज की सबसे बड़ी आवश्यकता है कि जातियों के आधार पर नहीं बल्कि गरीबी के आधार पर समाज का विकास करें और जरूमंद समाज को गले लगाये। आपसी नफरत की दीवारों को तोड़े, दरारों को भरे, आपसी खाईयों को भरे और गरीबों और असहायों के लिये भोजन की व्यवस्था करें।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने गरीबों की थाली को ग्लोबल थाली बना दिया है। उन्होंने मडूवा, सत्तू, कोदो, बाजरा, रागी और मोटे अनाज जिन्हें कोई जानता नहीं था उसे ग्लोबल बाजार प्रदान किया है।
स्वामी जी ने कहा कि हमारे मन्दिर केवल इमारते नहीं है बल्कि वे हमारी आस्था और श्रद्धा के प्रतिष्ठान है। मन्दिर आस्था और व्यवस्था के केन्द्र रहे हैं; शिक्षा, ज्ञान और दीक्षा के केन्द्र रहे हैं। समाज जितना शिक्षित होगा उतनी ही गरीबी कम होगी, नासमझी कम होगी इसलिये तो कहा गया है कि जो पढ़ेगा वो आगे बढ़ेगा। जो पढ़े लिखे होते है उन्हें कोई गुमराह नही ंकर सकता।
स्वामी जी ने कहा कि मन्दिरों के माध्यम से शिक्षा, चिकित्सा और जीरो से पांच वर्ष तक के बच्चों के टीकाकरण हेतु आवाज को भी यहां से जोर देना जरूरी है।
स्वामी जी ने कहा कि बच्चों की पांच वर्ष की उम्र में दो वर्ष अत्यंत महत्वपूर्ण होते है। सरकार की टीकाकरण योजना अद्भुत है ’पांच साल सात बार’’ को अपनाये इससे बच्चे के जीवन की नींव सुदृढ़ रहती है। टीकाकरण से बच्चों को विभिन्न बीमारियों से बचाया जा सकता है।
श्री श्याम जाजू जी ने कहा कि जिसकी जितनी आयु होती है उन्होंने उतने ही सूर्यउदय देखे हैै। रोज सुबह सूर्य उदय होता है तो वह प्रतिदिन अपने साथ नूतन ऊर्जा लेकर आता है। वह कभी पूराना नहीं होता, उसी प्रकार हमारा सनातन भी है जो कभी पूराना नहीं होता। जो कभी पूराना न हो, जो सदैव नये रूप में रहे यही सनातन है।
श्री प्रेमचंद अग्रवाल जी ने कहा कि सनातन पर सवाल करना सनातन संस्कृति नहीं है। सनातन कभी नहीं मिट सकता क्योंकि सनातन अनन्त है। आज का यह कार्यक्रम पूरे विश्व को एक दिशा प्रदान करने वाला है। इस ऐप में माध्यम से जनसमुदाय को मन्दिरों के बारे में जानकारी प्राप्त होगी और जागरूकता भी बढ़ेगी।
स्वामी जी ने पूज्य संतों, पदाधिकारियों और आयोजकों को रूद्राक्ष का पौधा भेंट कर इस दिव्य आयोजन हेतु उनका अभिनन्दन किया।