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Pujya Swamiji Graces Namo Impact Book Release Ceremony
परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने नमो इंपैक्ट काॅफी टेबल बुक विमोचन समारोह में सहभाग कर राष्ट्र प्रथम का संदेश दिया।
इस अवसर पर माननीय राज्यपाल केरल श्री आरिफ मोहम्मद खान साहब, पूर्व राज्यपाल, असम प्रो जगदीश मुखी जी, गौसेवक एवं समाजसेवी प्रो सुरेश चन्द्र सिंघल जी, सांसद एवं सहकोषाध्यक्ष भाजपा श्री नरेश बंसल जी, चेयरमैन नमो इम्पैक्ट टीवी श्री जगदीश राय गोयल जी, चांसलर महाराजा अग्रसेन वि वि डा नंद किशोर गर्ग जी, चेयरमैन लोहिया ग्लोबल श्री विनीत लोहिया जी, श्री भैय्या जी, पूर्व जस्टिस सुप्रीम कोर्ट श्री पंकज मित्तल जी, एवं विशिष्ट अतिथियों ने दीप प्रज्वलित कर नमो इम्पैक्ट काॅफी टेबल बुक का विमोचन किया।
माननीय राज्यपाल केरल श्री आरिफ मोहम्मद खान साहब ने कहा कि इस समय पूरे देश में रामलीला मनायी जा रही है। नवरात्रि का उत्सव पूरे देश में है। ऐसे समय में अपने प्रधानमंत्री जी के संबंध में, उनकी नीतियों, कार्यो व नेतृत्व के बारे में विभिन्न लोगों के विचारों केा विस्तार से बताने के लिये नमो इम्पैक्ट काॅफी टेबल बुक लायें हैं इस हेतु नमो इम्पैक्ट टीम को बहुत-बहुत बधाई।
भारत में अनेक उत्सव मनाये जाते हैं हम उत्सव इसलिये मनाते हैं क्योंकि हम किसी को याद करते हैं। साथ ही वह सकारात्मक ऊर्जा उस नेतृत्व व शक्ति से निकलती है उसमें हमारी सभी की ऊर्जा भी शामिल हो जाये। उस ऊर्जा से हम सभी लाभान्वित होते है इसलिये उत्सवों का आयोजन हमारे यहां पर किया जाता है।
आज हम माननीय प्रधानमंत्री जी से संबंधित पुस्तक का विमोचन कर रहे हैं अर्थात् हम व्यक्ति का नहीं बल्कि नेतृत्व का उत्सव मना रहे हैं। उन्होंने कहा कि राजनीतिक स्वतंत्रता, सामाजिक व आर्थिक स्वतंत्रता के बगैर अधूरी है लेकिन हमारे प्रधानमंत्री जी की नीतियों व कार्यक्रमों के नतीजे में आज पूरे भारत का नाम हुआ है। भारतवासी कहीं भी जाते हैं तो उन्हें इज्जत की दृष्टि से देखा जाता है।
उन्होंने कहा कि पहली बार हमें आभास हुआ कि हम केवल दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र नहीं है बल्कि हम सबसे पुराना लोकतंत्र है। पूरी दुनिया में लोकतंत्र का इतिहास 400 वर्ष पुराना है परन्तु भारत में आध्यात्मिक लोकतंत्र का इतिहास हजारों-हजारों वर्ष पुराना है। भारत की सभ्यता और संस्कृति आत्मा से परिभाषित होती है। मानस से उत्पन्न हुयी यादगारों को समाप्त करना आसान नहीं होता और शक्ति से पैदा हुयी यादगारे समाप्त हो जाती हैं। श्रीकृष्ण की भगवत गीता मानसिक शक्ति की यादगार है, उस काल में बनायी गयी इमारतें ध्वस्त हो गयी परन्तु मानसिक शक्ति का स्वरूप गीता जीवंत व जागृत है। हम मानव की प्रतिष्ठा में विश्वास करते हैं। भारत की सभ्यता ने दिव्यता का मावनविकरण किया और मानवता का दिव्यकरण किया। भारत में व्याप्त मानव प्रतिष्ठ हमारी सबसे बड़ी उपलब्धि है। उन्होंने कहा कि समाज में जिनकी सेवा की जिम्मेदारी है वह आपका ईष्टदेव है। कोई समाज कितना सभ्य है वह इस बात पर निर्भर करता है कि किसी चीज को कानून के माध्यम से नहीं बल्कि स्वतः स्वीकार करना यही श्रेष्ठ सभ्यता है।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि नवरात्रि के पावन पर्व पर नमो इम्पैक्ट का विमोचन, दोनों का अर्थ बहुत गहरा है। नमो से तात्पर्य ही है जो जड़़ों तक जाये, मूल तक जाये; जो सबसे जुड़े वही नमो इम्पैक्ट है। नमो इम्पैक्ट अर्थात् जहां पर सभी समान और सब का सम्मान और यही हमारे देश का संविधान भी है।
उन्होंने कहा कि आज पूरे विश्व में जो सबसे बड़ा संकट है वह सोच का संकट है, विचारों का संकट है, संस्कारों का संकट है इसलिये अब भारत को भारत की नजर से देखने की जरूरत है। हमें अपनी संस्कृति, मूल्यों और मूल पर विश्वास करना होगा। वर्तमान समय में सबसे बड़ी जरूरत है प्रत्येक हिन्दू, हिन्दू की और सनातनी, सनातनी की आलोचना न करें तभी हम खड़े हो पायेंगे नहीं तो हम टूट जायेंगे।
उन्होंने कहा कि समाज में व्याप्त जात-पात की दीवारों को तोड़ना होगा, नफरत की दरारों को भरना होगा और सब के दिलों को जोड़ना होगा। हमारे देश के माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने यही तो प्रयास किया है, जहां गये सभी को जोड़ दिया। उनके लिये जमीन नहीं जमीर महत्वपूर्ण है। हमारे देश में आयोजित जी 20 केवल जी 20 की यात्रा नहीं बल्कि यह जी आॅल की यात्रा थी। श्री मोदी जी ने कान्फ्रेन्स को पब्लिक इवेंट बना दिया।
स्वामी जी ने कहा कि सनातन संस्कृति न शो है और न तो शोर है बल्कि वह तो धीरे से दिल को छू लेती है। उन्होंने नारों से नहीं बल्कि विचारों से देश को खड़ा किया है।
इस अवसर पर स्वामी जी ने कहा कि सनातन धर्म बीमारी नहीं बल्कि इलाज है, सनातन धर्म रोग नहीं बल्कि योग है जो सब को जोड़ता है, सभी को साथ लेकर चलता है। सनातन धर्म समस्या नहीं बल्कि समाधान है, जहां सब समान, सब का सम्मान यही तो सनातन संविधान है। सनातन धर्म डिवाइन है इसलिये सभी को राष्ट्र प्रथम का भाव जागृत करना होगा। देव भक्ति के साथ-साथ देशभक्ति भी करें यही नमो इम्पैक्ट है। उन्होंने कहा कि ये देश भवनों के बल पर नहीं बल्कि भावनाओं के बल पर खड़ा है, यह देश साधनों के बल पर नहीं बल्कि साधनाओं के बल पर खड़ा है।