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H.H. Pujya Swami Chidanand Saraswatiji | | Pujya Swamiji Graces Opening Ceremony of Shri Hemkund Sahib Yatra
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Pujya Swamiji Graces Opening Ceremony of Shri Hemkund Sahib Yatra

May 17 2023

Pujya Swamiji Graces Opening Ceremony of Shri Hemkund Sahib Yatra

परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने श्री हेमकुंड साहिब यात्रा उद्घाटन समारोह में सहभाग किया। हेमकुंड साहिब गुरूद्वारा भारत में सिख समुदाय के लिए एक महत्वपूर्ण पवित्र तीर्थस्थल है।

हेमकुंड साहिब यात्रा में प्रतिवर्ष हजारों श्रद्धालु श्रद्धापूर्वक इस मनोरम तीर्थ स्थल पर जाते हैं। यह तीर्थस्थल दसवें सिख गुरु, श्री गुरु गोबिंद सिंह जी को समर्पित है। माना जाता है कि इस स्थान पर गुरू गोविन्द सिंह जी ने ध्यान किया था वहीं पर आज हेमकुंड साहिब गुरूद्वारा स्थित है।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने हेमकुण्ड साहिब यात्रा के उद्घाटन अवसर पर दसवें गुरू गुरू गोविन्द सिंह जी को याद करते हुये कहा कि सिखों का इतिहास बलिदानी परम्परा का इतिहास है शिरोमणि गुरूगोबिन्द सिंह जी ने अपने मातृभूमि के प्रति अपना सर्वस्व बलिदान कर बलिदानी परम्परा की स्वर्णिम इबादत लिखी है। हमें अपनी यात्रा के साथ उस बलिदानी परम्परा, मातृभूमि के प्रति प्रेम और समर्पण को भी याद रखना होगा।

स्वामी जी ने कहा कि श्री गुरु गोबिंद सिंह जी भक्ति, शक्ति और बलिदान के अद्वितीय संगम थे। गुरु गोबिंद सिंह जी की इन दो पंक्तियों में मातृभूमि के प्रति उनकी आस्था और अद्भुत साहस समाहित हंै “चिड़ियों से मैं बाज लडाऊं, गीदड़ों को मैं शेर बनाऊ।”“सवा लाख से एक लडाऊं तभी गोबिंद सिंह नाम कहाउँ !!” ऐसे वीर तपोनिष्ठ की कर्तव्य निष्ठा और राष्ट्र भक्त की तपोस्थली की यात्रा करना अपने आप में गौरव का विषय है।

स्वामी जी ने कहा कि श्री गुरु गोबिंद सिंह जी ने सदैव धर्म और सत्य के मार्ग पर चलते हुये सभी को प्रेम, एकता, भाईचारा, सहनशीलता, मधुरता और सौम्यता का संदेश दिया। उन्होंने रंग, वर्ण, जाति, संप्रदाय आदि के भेदभाव के बिना समता, समानता एवं समरसता को आत्मसात कर जीवन में आगे बढ़ने का मार्ग दिखाया हम सब इसी संदेश को लेकर आगे बढ़ते रहे तभी यात्रा की सार्थकता हैं।

स्वामी जी ने कहा कि विशेष तौर से यात्राओं के दौरान हमें अपने पर्यावरण का विशेष ध्यान रखना होगा क्योंकि हमारी यात्रा और हमारे तीर्थ स्थल पर्यटन का नहीं बल्कि तीर्थातट के लिये है। उत्तराखंड देवभूमि हैं इसलिये यहां पर पर्यटन नहीं बल्कि तीर्थाटन के भाव से आयंे। इस दिव्य क्षेत्र की गरिमा को बनाये रखने में अपना योगदान प्रदान करें और यहां की पवित्रता, दिव्यता और शान्ति को अपने साथ लेकर जाये।

सभी ने गुरूद्वारा में मत्था टेककर श्रद्धालुओं और यात्रियों की मंगलमय यात्रा की प्रार्थना की।

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