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H.H. Pujya Swami Chidanand Saraswatiji | | Pujya Swamiji Graces Prakash Parv Celebrations
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Pujya Swamiji Graces Prakash Parv Celebrations

Jan 17 2024

Pujya Swamiji Graces Prakash Parv Celebrations

परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने सिख धर्म के 10 वें गुरू श्री गुरू गोबिंद सिंह जी के प्रकाश पर्व पर श्रद्धांजलि अर्पित करते हुये कहा कि गुरू गोबिंद सिंह जी ने प्रेम और ज्ञान, सदाचारी एवं सत्यनिष्ठ और राष्ट्र प्रथम का संदेश दिया। उन्होंने अपने पूरे परिवार को अपने राष्ट्र पर न्यौछावर कर दिया।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि श्री गुरू नानक देव जी से लेकर दसवें गुरू, श्री गुरूगोबिंद सिंह जी ने जीवन के बड़े ही प्यारे मंत्र दिये। ’’नाम जपना, हमेशा ईश्वर का सुमिरन करना, प्रभु का नाम बाहर, भीतर हमेशा चलता रहें, कथायें हो, कीर्तन हो, नाम स्मरण हो ये सब बातें मन को शुद्ध करने के लिये है ताकि मन का मैल मिटे तथा जीवन में सत्य, प्रेम और करूणा का विकास हो। किरत करना और ईमानदारी से आजीविका अर्जित करना। दूसरों के साथ अपनी कमाई साझा करना, जरूरत मंदों को दान देना एवं उनकी देखभाल करना और जीवन में पुरूषार्थ करना, वंड छकना, अर्थात मिलबांट कर खाओ, यह सब मूल्यवान गुण है, यह जब जीवन में आते हैं तभी जीवन सार्थक है, वास्तव में यही जीवन जीने व सेवा करने का माध्यम है। ईमानदारी से जीवन जीना, अपराध से दूर रहना और प्रकृति के अनुरूप जीना यही सच्चा धर्म है। गुरू ग्रंथ साहिब में लिखा है कि ’’पवन गुरू, पाणी पिता, माता धरति महत’’ अर्थात् हवा को गुरू, पानी को पिता और धरती को माता का दर्जा दिया गया है।

श्री गुरू गोबिन्द सिंह ने सिखों के पवित्र ग्रन्थ गुरु ग्रंथ साहिब को गुरु रूप में सुशोभित किया। आज्ञा भई अकाल की, तभी चलायो पंथ, सब सिखन को हुक्म है, गुरू मानियो ग्रंथ। गुरूगोबिंद सिंह जी ने राष्ट्रधर्म की रक्षा के लिए अपने पूरे परिवार का बलिदान कर दिया। उन्होंने प्रेम, एकता, भाईचारे का संदेश देते हुये कहा कि सहनशीलता, मधुरता और सौम्यता हमारे व्यक्तित्व के प्रमुख गुण होने चाहिये। हर क्षण प्रभुनाम का सुमिरण करना, अपने आध्यात्मिक एवं लौकिक दायित्वों के बीच संतुलन बनाए रखते हुए सदाचारी एवं सत्यनिष्ठ जीवन जीने की शिक्षा गुरू गोबिंद सिंह जी ने दी।

प्रकाश पर्व के अवसर पर गुरू नानक देव जी के संदेशों को याद करते हुये कहा कि उन्होंने ’’अव्वल अल्लाह नूर उपाया, कुदरत के सब बन्दे, एक नूर ते सब जग उपज्या, कौन भले कौन मंदे’’। उन्होंने सामजिक ढांचे को एकता के सूत्र में बाँधने के लिये तथा ईश्वर सबका परमात्मा हैं ,पिता हैं और हम सभी एक ही पिता की संतान है ऐसे अनेक दिव्य सूत्र दिये। वे एक दार्शनिक, योगी, गृहस्थ, धर्मसुधारक, समाजसुधारक, कवि और देशभक्त थे। ’’सतगुरू नानक प्रगटिया, मिटी धुंध जग चानण होआ, ज्यूँ कर सूरज निकलया, तारे छुपे अंधेर पलोआ।’’

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि गुरु गोबिंद सिंह जी के नेतृत्व में सिख समुदाय के इतिहास में जागृति और नई ऊर्जा का समावेश किया। वर्तमान समय में पूरे मानव समुदाय को विशेष रूप से युवाओं को देशभक्ति, पर्यावरण संरक्षण और नव जागृति के लिये कार्य करने की जरूरत है। आईये आज हम संकल्प लें कि हम अपने राष्ट्र की उन्नति और समृद्धि हेतु योगदान प्रदान करें। आज श्री गुरू गोबिंद सिंह जी के प्रकाशपर्व पर उनकी साधना, आराधना, सद्भाव और राष्ट्र भक्ति को नमन।

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