
Pujya Swamiji Graces River Festival 2023 at Indira Gandhi National Center for the Arts, Delhi
परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने चैथे नदी उत्सव कार्यक्रम में सहभाग कर नदियों को संरक्षित व प्रदूषण मुक्त करने हेतु सभी को प्रेरित किया। इस अवसर पर स्वामी जी ने भारत सहित विश्व में नदियों के तटों पर शुरू कि दिव्य व भव्य आरतियांे के विषय में चर्चा करते हुये दिव्य, भव्य व हरित कुम्भ के विषय में चर्चा की।
इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (आईजीएनसीए), दिल्ली में संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार, द्वारा आयोजित इस नदी उत्सव में राष्ट्रीय दर्शन, वृत्तचित्र-फिल्म चित्रण, सांस्कृतिक प्रदर्शनी, छात्रों द्वारा बनाई गई सांस्कृतिक पेंटिंग, लेखक का कोना (इस पर लेखक के साथ चर्चा) जैसे विभिन्न कार्यक्रम आयोजन किया गया। नदियाँ और नदियों की संस्कृति, सांस्कृतिक कार्यक्रम, पर्यावरण-आधारित पुस्तक-मेला, आदि, जो ’नदी और नदी के तटों की जीवन शैली’ पर आधारित हैं को चित्रित किया गया।
इस अवसर पर परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी, चेयरपर्सन एनसीटी, जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव, आध्यात्मिक गुरू वृन्दावन, आचार्य श्रीवत्स गोस्वामी जी, पदमश्री अनिल जोशी जी, अध्यक्ष आईजीएनसीए श्री रामबहादूर राय जी, सदस्य सचिव आईजीएनसीए डा सचिदानन्द जोशी जी और अन्य विशिष्ट अतिथियों ने सहभाग किया।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि नदियाँ धरती की रूधिर वाहिकायें हैं। जिस प्रकार शरीर का संचालन रूधिर वाहिकाओं के बिना नहीं हो सकता उसी प्रकार धरती का भी संचालन नदियों के बिना सम्भव नहीं है इसलिये सभी को अपने टाइम, टैलंेट, टेक्नोलाॅजी एवं टेनासिटी के साथ नदियों के लिये कार्य करना होगा। अब समय आ गया है कि हम नदियों के लिये कुछ करें नहीं तो वह समय दूर नहीं जब हमें अपनी जीवन दायिनी नदियों के विषय में पुस्तकों में न पढ़ना पड़े।
स्वामी जी ने कहा कि नदियाँ, किताबों में नहीं हमारे हृदय में बहती रहे’। अब समय आ गया है कि हमारे नदियों को स्वच्छ करने के हमारे संकल्प व प्रयास भगीरथ जैसे हो। भगीरथ की तपस्या अत्यंत कठोर थी, उनकी तरह नहीं पर थोड़ा प्रयास तो जरूरी है। भगीरथ ने कभी सेल्फी नहीं ली बल्कि सेल्फ (खुद) को लगा दिया हम भी ’सेल्फी तक सीमित न रहे अपने सेल्फ को भी जोड़े’। ’सरकार के ग्रैण्ड प्लान के साथ जनसमुदाय अपना ग्राउंड प्लान’ जोडे तो बेहतर परिणाम प्राप्त हांेगे।
स्वामी जी ने कहा कि ’गंगा और अन्य नदियों में रहने वाले जीव यथा डाल्फिन, कछुये और घडियाल नदी के जल को स्वच्छ रखने मंे महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते है लेकिन नदियों में बढ़ता प्रदूषण जलीय जीवों के जीवन को संकटग्रस्त बनाता जा रहा है इसलिये समुदायों को जोड़कर जलीय जीवों के संरक्षण हेतु सभी को आगे आना होगा। भारत का सौभाग्य है कि हमारे पास गंगा सहित अन्य नदियों के विषय में सोचने व कार्य करने वाले यशस्वी और ऊर्जावान प्रधाममंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी है जिनका नेतृत्व इस अभियान को मिल रहा है; उनका संकल्प हम सभी के साथ है और हम सभी का संकल्प भी उनके साथ हो, हमारे पास तकनीकी है; संसाधन है जिससे हम नदियों को अविरल और निर्मल बना सकते है केवल हमें बहुआयामी प्रयास करने की जरूरत है।
स्वामी जी ने कहा कि परमार्थ निकेतन वृहद स्तर पर पौधारोपण अभियान चलाता हैं। वृक्षारोपण भी एक आयाम है; खेतों में कीटनाशकों का कम इस्तेमाल भी एक आयाम है; सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग न करना भी एक आयाम है नदियों को प्रदूषण मुक्त करने का।
स्वामी जी ने कहा कि शुद्ध वायु, शुद्ध जल एवं शुद्ध मृदा ये तीनों तत्व ही तो हमारे जीवन को बनाते हैं। अगर मृदा विषैली है तो विषैला खाद्य पदार्थ ही पैदा करेगी इसलिये हमारी जिम्मेदारी, जवाबदेही और हमारी पारदर्शिता बहुत जरूरी है अतः हम सभी मिलकर आगे बढ़े तो कुछ भी असंभव नहीं है। उन्होंने कहा कि यह समय लोगो और इगो से उपर उठकर कार्य करने का है। हम पदों पर रहकर नहीं बल्कि गंगा के पहरी; परिवार, पहरेदार और पुत्र बनकर कार्य करे तो विलक्षण परिणाम प्राप्त होंगे।
स्वामी जी ने रूद्राक्ष का पौधा भेंट कर नदियों को स्वच्छ व प्रदूषण मुक्त करने का संकल्प कराया।