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H.H. Pujya Swami Chidanand Saraswatiji | | Pujya Swamiji Graces Saint Ishwar Samman 2023
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Pujya Swamiji Graces Saint Ishwar Samman 2023

Oct 03 2023

Pujya Swamiji Graces Saint Ishwar Samman 2023

परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी, लोकसभा अध्यक्ष श्री ओम बिड़ला जी और अन्य विशिष्ट अतिथियों ने संत ईश्वर सम्मान में सहभाग कर अपना दिव्य उद्बोधन दिया। स्वामी जी ने सभी विशिष्ट अतिथियों को परमार्थ निकेतन की हरित भेंट रूद्राक्ष का दिव्य पौधा भेंट किया।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि भारत का इतिहास सेवा और त्याग के उदाहरणों से भरा पड़ा है। हमारे शास्त्रों में उल्लेख मिलता है कि नर सेवा ही नारायण की पूजा है यही जीवन का धर्म है। आदि काल से भारत में समाज सुधार के लिये मानवीय भावनाओं व मूल्यों को विकसित करने के लिये अनेक आन्दोलन चलाये गये। श्री कपिल खन्ना जी, विगत 21 वर्षो से संत ईश्वर सम्मान के माध्यम से देश की उन दिव्य विभूतियों को सम्मानित कर रहे हैं जिन्होंने वास्तव में समाज में उत्कृष्ट परिवर्तन किया है। जिनके कार्यों से अनेकों के दिन, दिल और जीवन में परिवर्तन हुआ है। इस अद्भुत कार्यक्रम के माध्यम से सेवा का दीप सभी के दिलों में प्रज्वलित होता रहे और राष्ट्र प्रथम के भाव से हम बढ़ते रहे यही तो वास्तव में जीवन है।

श्री ओम बिड़ला जी ने कहा कि हर क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले जिनके कार्यों से समाज को प्रेरणा मिलती है उन सभी का अभिनन्दन करते हुये कहा कि यह संस्था विगत 21 वर्षों से समाज में अभावग्रस्त जीवन जीने वालों के लिये कार्य करती आ रही है। यह पूरा संगठन व पूरा परिवार समाज के लिये समर्पित है।

उन्होंने कहा कि संस्कार मिलते है परिवार से, समाज से और यही संस्कार आगे की पीढ़ी को पहुंचाये जाते है। यह संस्था सबसे अन्तिम छोर पर बैठे व्यक्तियों तक सुविधायें, आजीविका और कौशल को पहुंचाने हेतु विगत 21 वर्षो से निरंतर कार्य कर रही है। यह ऐसी संस्था है जिसमें अपने आप को राष्ट्र को समर्पित कर दिया है। यहां पर पुरस्कार देने का उद्देश्य है कि इस कार्यक्रम के माध्यम से दूसरों को प्रेरणा देना। हमारा जीवन समाज के लिये एक प्रेरणा का स्रोत बने यही भाव हम सभी का हो।

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ माननीय श्री सुरेश भैया जी जोशी ने कहा कि पहले लोग सम्मान के लिये कार्य करते थे और आज सम्मान लोगों के पास जा रहा है। यह एक अद्भुत परिवर्तन हो रहा है भारत में, कि हम सम्मानित करने के लिये विशेष कार्य करने वाले लोगों को पकड़ कर ला रहे हैं। आज यहां जिन्हें सम्मानित किया उन्हें पुरस्कार की चाह नहीं है बल्कि कार्य करने की चाह है। हमारे गं्रथों में लिखा है ’सेवा परमो धर्मः’। भारत के रक्त में सेवा का धर्म समाहित है।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और सभी विशिष्ट अतिथियों न उत्कृष्ट कार्य करने वालों को पुरस्कार प्रदान किये।

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