
Pujya Swamiji Graces Workshop on Neuro-Developmental Disorders at AIIMS Rishikesh
आज एम्स, ऋषिकेश में आयुर्वेद के महत्व के साथ ही बच्चों में हो रही तंत्रिका विकास संबंधी विकारों को ठीक करने हेतु नैदानिक कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला के माध्यम से बच्चों और युवाओं को प्रभावित करने वाले अत्यंत महत्वपूर्ण विषयों पर गहन चिंतन हेतु परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी, जीवा की अन्तर्राष्ट्रीय महासचिव साध्वी भगवती सरस्वती जी, वैद्यरत्नम डॉ राघवन रमन कुट्टी जी और शारदा राघवन जी ने सहभाग कर उद्बोधन दिया कि आयुर्वेद के माध्यम से कैसे इन विकारों का समाधान किया जा सकता है।
इस अवसर पर कार्यकारी निदेशक, एम्स ऋषिकेश डा मीनू सिंह, साइबेरिया से डा तामरा, डॉ. रवि, डॉ. पांडा और अन्य प्रोफेसर व डाक्टर्स ने सहभाग किया।
बच्चों में विकास संबंधी विकार मुख्य रूप से मानसिक, संज्ञानात्मक, मोटर, संवेदी, भावनात्मक और सामाजिक पहलुओं से संबंधित होते हैं। बच्चों में मानसिक विकास संबंधी विकार होते है तो बुद्धि अक्सर कम हो जाती है, सोचने समझने की क्षमता धीमी हो जाती है और भावनात्मक व्यवहार में परिवर्तन आ जाता है, बोलने की क्षमता भी मंद हो जाती है।
बच्चों में विकास संबंधी विकार हमेशा पहचानने योग्य कारण नहीं होते हैं। बच्चों में मोटर विकास संबंधी विकार कभी-कभी पीढ़ी-दर-पीढ़ी विरासत में मिलते हैं। जन्म के समय ऑक्सीजन की कमी भी एक प्रमुख कारण है।
बच्चों में मानसिक विकास संबंधी विकार लगभग हमेशा जन्मजात या संक्रमण से होते हैं, कई बार माता की जीवनशैली, मानसिक और शारीरिक व्यवहार भी जिम्मेदार होता है इसलिये आयुर्वेद के माध्यम से एक स्वस्थ जीवनशैली अपनायी जा सकती है।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि आयुर्वेद की विधा जीवन की विधा है, जीवनशैली में परिवर्तन की विधा है। आयुर्वेद प्राचीन भारतीय प्राकृतिक और समग्र चिकित्सा पद्धति है। आयुर्वेद ‘जीवन का विज्ञान’ है।
आयुर्वेद मानव के सामाजिक, राजनीतिक, मानसिक तथा आध्यात्मिक पहलुओं का समाकलन करता है, क्योंकि ये सभी एक-दूसरे को प्रभावित करते हैं। आयुर्वेद तन, मन और आत्मा के बीच संतुलन स्थापित कर स्वास्थ्य में सुधार करता है। आयुर्वेद में न केवल उपचार होता है बल्कि यह जीवन जीने की शैली भी सिखाता है, इससे जीवन लंबा और खुशहाल हो सकता है।
वैद्यरत्नम डॉ राघवन रमन कुट्टी जी ने कहा कि आयुर्वेद जीवन की गहराईयों तक परिवर्तन करता है तथा व्यक्ति को स्वस्थ प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। आयुर्वेद केवल स्वास्थ्य ही नहीं बल्कि जीवन का आनन्द भी प्रदान करता है। उन्होंने बताया कि विगत 60 वर्षों से आयुर्वेद फिजिशियन के रूप में सेवायें प्रदान कर रहे हैं।
आयुर्वेद के अनुसार व्यक्ति के शरीर में वात, पित्त और कफ जैसे तीनों मूल तत्त्वों के संतुलन से कोई भी बीमारी नहीं हो सकती, परन्तु यदि इनका संतुलन बिगड़ता है, तो बीमारी शरीर पर हावी होने लगती है। आयुर्वेद में इन्हीं तीनों तत्त्वों के मध्य संतुलन स्थापित किया जाता है।
डा राघवन और शारदा राघवन ने एम्स के जूनियर डाक्टर्स और विद्यार्थियों की जिज्ञासाओं का समाधान किया।