
Pujya Swamiji meets with Chief Minister Uttar Pradesh Mahant Shri Yogi Adityanathji in Lucknow
HH Param Pujya Swami Chidanand Saraswatiji held a beautiful sattvik meeting with Chief Minister Uttar Pradesh Mahant Shri Yogi Adityanathji in Lucknow today on the auspicious occasion of Shri Ganesh Chaturthi, presentinga clay idol of Shri Ganesh ji sitting on Nandi to the revered Yogi ji, and calling upon all Indians to pledge to make the environment and rivers pollution free.
Swamiji said that if we celebrate Ganesh Chaturthi according to scriptures, our traditions will be saved and the environment will also be saved. We have to establish and immerse Ganesh ji according to the scriptures to honour them and to protect the environment.
परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और मुख्यमंत्री उत्तरप्रदेश महंत श्री योगी आदित्यनाथ जी की लखनऊ में हुई सात्विक भेंटवार्ता
गणेश जी विदा नहीं होंगे बल्कि हमारे साथ ही रहेंगे
डेकोरेशन नहीं बल्कि डिवोशन के साथ इनोवेशन
धर्म पर आरूढ़ होकर प्रत्येक योजना का करें शुभारम्भ
स्वामी चिदानन्द सरस्वती
ऋषिकेश, 31 अगस्त। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने आज श्री गणेश चतुर्थी के पावन अवसर पर लखनऊ में मुख्यमंत्री उत्तरप्रदेश महंत श्री योगी आदित्यनाथ जी से एक सात्विक भेंटवार्ता की।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने नंदी पर विराजमान मिट्टी के श्री गणेश जी की प्रतिमा श्रद्धेय योगी जी को भेंट कर देशवासियों से पर्यावरण और नदियों को प्रदूषण मुक्त करने का आह्वान किया।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि भगवान श्री गणेश प्रथम पूज्य हैं और हमारे आराध्य हैं। श्री गणेश पूजन की दिव्य परम्परा का स्वरूप हम सभी के सामने है और यह केवल भारत में ही नहीं बल्कि विश्व के अनेक देशों में है, मैने अपनी विदेश यात्रा के दौरान देखा कि भारतीय संस्कृति और संस्कारों के प्रति प्रवासी भारतीयों की अपार श्रद्धा है इसलिये हमें अपने पर्व और त्यौहार शास्त्रोक्त विधानों के अनुसार मनाना होगा। हम कोई भी ऐसी परम्परा का शुभारम्भ न करें जिससे हमारा पर्यावरण बिगड़ता हो, हमें उन परम्पराओं पर ध्यान देने की नितांत आवश्यकता है। हमें ऐसी परम्पराओं को अंगीकार करना होगा जिससे हमारे मूल्य भी बचे, मूल भी बचे, पर्यावरण भी बचे और पीढ़ियां भी बचे इसलिये श्री गणेश जी की स्थापना और विसर्जन तो करें लेकिन नये सर्जन के साथ करें। श्री गणेश उत्सव पर डेकोरेशन नहीं बल्कि डिवोशन के साथ इनोवेशन करें।
स्वामी जी ने कहा कि शास्त्रों में तो यह मर्यादा है कि गणेश जी की जो मूर्ति व प्रतिमा है वह, यज्ञ, पूजा और उत्सवों हेतु मात्र एक अंगूठे के बराबर बनाने का विधान हैं। जब यह परम्परा प्रारम्भ हुई तब पूजा में, हवन में, यज्ञ में गोबर और मिट्टी के श्री गणेश बनाये जाते थे और फिर पूजन के पश्चात उस प्रतिमा को तालाबों में, जलाश्यों में, सरोवरों में, उनका विसर्जन किया जाता था। हमारे शास्त्रों में श्री गणेश जी की मूर्ति को नदी में, जल में प्रवाहित करने का विधान है क्योंकि जल में गोबर और मिट्टी घुल जाती हैं और गोबर के जो गुणकारी तत्व हंै, वह जाकर पानी की तलहटी में मिलते है, जिससे वे मिट्टी, पानी आदि अन्य चीजों को शुद्ध करते हैं, उससे धरती उपजाऊ बनती है तथा पर्यावरण की रक्षा भी होती है। पर्यावरण के साथ -साथ इससे गौ माता का संरक्षण और संवर्द्धन भी सम्भव है और इस समय गौ माता और गौवंश का संरक्षण की नितांत आवश्यकता है।
स्वामी जी ने कहा कि गणेश चतुर्थी को शास्त्रोक्त विधि से मनाने पर हमारी परम्परायें भी बचेगी और पर्यावरण भी बचेगा। जो प्लास्टर आॅफ पेरिस और सिंथेटिक की प्रतिमायें हैं, वह कोई शास्त्रीय विधान के अनुसार नहीं हैं इसलिये हम भी प्लास्टिक, प्लास्टर आॅफ पेरिस, थर्मोकोल या अन्य उत्पादों से बनी प्रतिमाओं की स्थापना न करें क्योंकि इन मूर्तियों का नदियों व तालाबों में विसर्जन करने से जल प्रदूषित होगा। हमें शास्त्रों के अनुरूप एवं पर्यावरण की रक्षा करते हुये गणेश जी की स्थापना और विसर्जन करना होगा।
स्वामी जी ने हिमालय की हरित भेंट रूद्राक्ष का पौधा मुख्यमंत्री उत्तरप्रदेश, श्री योगी आदित्यनाथ जी को भेंट किया तथा देशवासियों का आह्वान करते हुये कहा कि आईये हम संकल्प लें कि हम अपने पर्व और त्योहारों को ईकोफें्रडली तरीके से मनायेंगे जिससे हमारा पर्यावरण भी बचेगा, परम्परायें भी बचेगी, प्रकृति भी बचेगी और हमारी पीढ़ियां भी बचेगी।