
Pujya Swamiji Meets with Hon’ble Minister of State for Environment, Forest and Climate Change
Pujya Swamiji and Honourable Minister of State for Environment, Forest and Climate Change, Shri Ashwini Kumar Choubey met in Delhi. On this occasion, Pujya Swami ji said that the animals living in the forest such as elephants, monkeys etc. are coming out of the forests due to shortage of water and food, creating conflict between humans and animals. Thus, the Amrit Sarovar planis being planned by Parmarth Niketan to create natural ponds and replenish the watershed, as well as planting of livelihood-sustaining, fruit-giving, sacred trees in Rajaji National Park, along Neelkanth Marg, giving the animals living in the forest access to water and fruits to keep them in their natural habitat. Pujya Swamiji shared that a survey had already been conducted together with Neer Foundation and there are plans to launch the initiative during the upcoming Kanwad Mela and monsoon season.
परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और माननीय राज्यमंत्री पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन, श्री अश्विनी कुमार चौबे जी की भेंटवार्ता
नीलकंठ मार्ग पर अमृत सरोवर निर्माण, फलदार पौधों का रोपण, रोजगार परक, जीविका देने वाले और आध्यात्मिक महत्व के पौधों के रोपण पर हुई चर्चा
रूद्राक्ष के पौधे से किया अभिनन्दन
इकोलाॅजी और इकोनामी साथ साथ
स्वामी चिदानन्द सरस्वती
ऋषिकेश, 13 अप्रैल। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और माननीय राज्यमंत्री पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन, श्री अश्विनी कुमार चौबे जी की दिल्ली में भेंटवार्ता हुई। इस अवसर पर स्वामी जी ने जानकारी दी की परमार्थ निकेतन द्वारा उत्तराखंड के जंगलों और पहाड़ों पर रोजगार परक, फलदार, जीविका देने वाले, आध्यात्मिक महत्व के पौधों का रोपण किया जा रहा है। स्वामी जी ने बताया कि जंगल में रहने वाले प्राणी, हाथी, बंदर आदि जंगलों से बाहर आ रहे हैं ऐसे में मनुष्यों और प्राणियों के बीच संघर्ष उत्पन्न हो रहा है क्योंकि जल और फल दोनों की कमी हो रही है इसलिये नीलकंठ मार्ग पर अमृत सरोवर, तालाबों का निर्माण की योजना बनायी गयी है ताकि जंगल में रहने वाले प्राणियों को अपने आस-पास ही पानी की उपलब्धता हो।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि वर्तमान में जलवायु परिवर्तन वैश्विक समाज के समक्ष मौजूद सबसे बड़ी चुनौती है, इससे निपटना वर्तमान समय की बड़ी आवश्यकता बन गई है। आँकड़े दर्शाते हैं कि पृथ्वी की सतह का औसत तापमान लगभग 1.62 डिग्री फॉरनहाइट (अर्थात् लगभग 0.9 डिग्री सेल्सियस) बढ़ गया है। इसके अतिरिक्त पिछली सदी से अब तक समुद्र के जल स्तर में भी लगभग 8 इंच की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। आँकड़े स्पष्ट करते हैं कि यह समय जलवायु परिवर्तन की दिशा में गंभीरता से विचार करने का है।
वर्तमान समय में पर्यावरण के लिए एकजुटता और जन जागरूकता अत्यंत आवश्यक है। युवाओं को पर्यावरण का संरक्षक और चैम्पियन बनने के लिए प्रेरित करना होगा ताकि वर्तमान और भावी पीढ़ियों का भविष्य सुरक्षित किया जा सके। हमें प्रकृति, पर्यावरण के अनुकूल तथा स्थायी जीवन शैली अपनाने के विषय में जागरूक करना होगा जो कि व्यक्ति, राष्ट्र और पर्यावरण के लिए भी बेहतर होगा।
स्वामी जी ने लाइफ (स्पथ्म्द्ध ‘लाइफस्टाइल फॉर एनवायरनमेंट के विषय में भी चर्चा करते हुये कहा कि समाज और सरकार के साझा प्रयासों से ही लाइफस्टाइल फॉर एनवायरनमेंट को एक अभियान बनाया जा सकता है। माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी मिशन लाइफ को एक वैश्विक जन आंदोलन का स्वरूप देने के लिये अथक प्रयास कर रहे हैं, हमंे व्यक्तिगत और समुदाय के स्तर पर जुटना होगा।
इस अवसर पर स्वामी जी ने इकोलाॅजी और इकोनामी पर चर्चा करते हुये कहा कि अर्थव्यवस्था और पर्यावरण आपस में परस्पर संबद्ध हैं। हमें विकास के लिये एक सुनियोजित दृष्टिकोण, जो विशेष रूप से भारत में ग्रामीण अर्थव्यवस्था को ध्यान में रखकर सुनिश्चित करना होगा।
श्री अश्विनी कुमार चौबे जी ने कहा कि हम भारतीय वसुधैव कुटुम्बकम् की भावना के साथ जीने वाले लोग हैं। जलवायु परिवर्ततन आज पूरे विश्व की समस्या है ऐसे में हमें हिमालय की निरंतरता को बनाये रखना होगा। अपनी प्रकृति का संरक्षण कर हम भावी पीढ़ियों को बहुत कुछ दे सकते हैं। उन्होंने जीवाश्म ईधन, सोलर एनर्जी और नेश्नल ग्रीन हाइड्रोजन के विषय में भी जानकारी प्रदान की।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने माननीय श्री अश्विनी कुमार चौबे जी को रूद्राक्ष का पौधा भेंट कर अभिनन्दन किया।