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H.H. Pujya Swami Chidanand Saraswatiji | | Pujya Swamiji Meets with Pujya Sant Shri Sudhanshuji
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Pujya Swamiji Meets with Pujya Sant Shri Sudhanshuji

Dec 21 2023

Pujya Swamiji Meets with Pujya Sant Shri Sudhanshuji

परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और विश्व जागृति मिशन के संस्थापक संत श्री सुधांशु जी की भेंटवार्ता हुई। दोनों पूज्य संतों ने गंगा सागर में विशाल गंगा आरती करवाने हेतु विशेष चर्चा की।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि वर्तमान वैश्विक परिदृश्य में पर्यावरण एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। ग्लोबल वार्मिग, क्लाइमेंट चेंज, ग्रीनहाउस गैसों का प्रभाव, जैव विविधता संकट तथा प्रदूषण को नियंत्रित करना वर्तमान समय की महत्वपूर्ण चुनौतियाँ हैं जिसका समाधान मिलकर निकालना होगा।

स्वामी जी ने कहा कि पर्यावरणीय संरक्षण के लिये वैश्विक स्तर पर अद्भुत कार्य किये जा रहे हैं परन्तु धार्मिक व आध्यात्मिक संगठन महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं क्योंकि विश्व के प्रत्येक 10 में से 8 व्यक्ति किसी-न-किसी रूप में धर्म से संबंधित हैं; धर्म से जुड़ें हुये हैं और विश्व के लगभग सभी धर्म, पर्यावरण के प्रति सद्भाव व नैतिकता का पालन करने की प्रेरणा देते हैं इसलिये गंगा जी सहित अन्य नदियों के तटों पर आरती का क्रम शुरू कर जनजागरूकता का अद्भुत कार्य किया जा सकता है।

स्वामी जी ने कहा कि भारतीय संस्कृति, धर्म और पर्यावरण में एक गहरा संबंध है। सभी धर्मों का दृष्टिकोण प्रकृति के प्रति सकारात्मक और संरक्षण का रहा है। हम तो ‘‘ईशा वास्यमिदं सर्वं यत्किञ्च जगत्यां जगत्‌ा्। तेन त्यक्तेन भुञ्जीथा मा गृधः कस्यस्विद्धनम्‌ा् ॥ अर्थात इस ब्रह्माण्ड में, गतिशील समष्टि-जगत् में जो भी दृश्यमान गतिशील, वैयक्तिक जगत् है इस सब में ईश्वर का वास है। कण-कण में ईश्वर विद्यमान है। यह सूत्र हमें प्रकृति और पर्यावरण संरक्षण की प्रेरणा प्रदान करता है।

स्वामी जी ने कहा कि भारतीय संस्कृति में तो प्रकृति के विभिन्न रूपों का पूजन किया जाता है। हमारा जीवन पाँच तत्त्वों- क्षिति (पृथ्वी), जल, पावक (अग्नि), गगन (आकाश), समीर (वायु) से मिलकर बना है जिनकी हम किसी न किसी रूप से पूजा करते हैं। हम पृथ्वी की माता के रूप में पूजा करते हैं। साथ ही पर्वत, नदी, जंगल, तालाब, वृक्ष, पशु-पक्षी आदि सभी को भारतीय संस्कृति में हमारी कथाओं व पुराणों में महत्वपूर्ण स्थान प्रदान किया गया है। भगवद्गीता में कई श्लोकों में कहा गया है कि ईश्वर सर्वव्यापी है तथा विभिन्न रूपों में सभी प्राणियों और वनस्पतियों में विद्यमान है इसलिये सभी की रक्षा करनी चाहिये। भारतीय संस्कृति में तो अहिंसा का सिद्धांत प्रमुख है। आईये हम अपनी प्रकृति व पर्यावरण के साथ अहिंसा युक्त व्यवहार करे और इनके संरक्षण में योगदान प्रदान करें।

संत श्री सुधांशु जी ने स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी के मार्गदर्शन व आशीर्वाद से भारत सहित विश्व के अनेक देशों में हो रही गंगा आरती की भूरि भूरि प्रशंसा करते हुये कहा कि गंगा आरती के माध्यम से भारतीय संस्कृति, संस्कार और दर्शन से युवा पीढ़ी को अवगत कराना एक उत्कृष्ट माध्यम है। परमार्थ निकेतन गंगा आरती का जो नियमित क्रम है वह वास्तव में अद्भुत है जिसमें पूरे विश्व से श्रद्धालु आते हैं और सर्वत्र इसकी दिव्यता की चर्चा होती है। वास्तव में गंगा आरती का पर्यावरण संरक्षण में अद्भुत योगदान है। परमार्थ गंगा तट से स्वामी जी पर्यावरण संरक्षण का संदेश प्रतिदिन प्रसारित कर रहे हैं जिससे विशेष कर युवा पीढ़ी प्रेरित व प्रभावित हो रही हैं। युवाओं में ऊर्जा, उत्साह व उमंग का संचार हो रहा है। योग को भी परमार्थ निकेतन निरंतर आगे बढ़ा रहा है। योग के क्षेत्र में परमार्थ निकेतन द्वारा भारत सहित पूरे विश्व में जो कार्य किये जा रहे हैं वह अद्भुत, अनुपम और अलौकिक है।

दोनों पूज्य संतों ने बताया कि गंगा सागर में विशाल गंगा आरती करने हेतु शीघ्र ही योजना बनायी जायेगी।

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