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H.H. Pujya Swami Chidanand Saraswatiji | | Pujya Swamiji Meets with Respected Swami Kailashanand Giriji
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Pujya Swamiji Meets with Respected Swami Kailashanand Giriji

Dec 08 2021

Pujya Swamiji Meets with Respected Swami Kailashanand Giriji

पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज और पूज्य स्वामी कैलाशानंद गिरि जी की हुई दिव्य भेंटवार्ता

भारतीय संस्कृति, विभिन्न सांस्कृतिक धाराओं का महासंगम-पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज

नदियों और संस्कृति का संरक्षण जरूरी-पूज्य स्वामी कैलाशानंद गिरि

7 दिसम्बर, ऋषिकेश। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज और दक्षिणेश्वर काली मंदिर के पीठाधीश्वर एवं आचार्य महामण्डलेश्वर पंचायती निरंजनी अखाड़ा के पूज्य स्वामी कैलाशानंद गिरि जी की हरिद्वार में दिव्य भेंट वार्ता हुई। दोनों पूज्य संतों ने भारतीय संस्कृति के संरक्षण, युवाओं में संस्कारों के रोपण, गौ, गंगा और गौरी के संरक्षण तथा नदियों के तटों पर वृक्षारोपण, बढ़ती जनसंख्या एवं उत्पन्न खतरों के विषय में विस्तृत चर्चा की।

पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने कहा कि भारत एक विविध संस्कृति वाला देश है तथा भारतीय संस्कृति विविधता में एकता की संस्कृति के साथ ही अपनी विशाल भौगोलिक स्थिति के जैसे ही विशाल है। भारतीय संस्कृति में ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ की पवित्र भावना निहित है, वर्तमान पीढ़ी को इन दिव्य भावनाओं से सिंचित करना नितांत आवश्यक है।

पूज्य स्वामी जी ने कहा कि संस्कृति किसी भी राष्ट्र और वहां के नागरिकों की आत्मा होती है। संस्कृति से ही देश, जाति या समुदाय के उन समस्त संस्कारों का बोध होता है जिनके आधार पर कोई भी राष्ट्र अपने आदर्शों, जीवन मूल्यों आदि का निर्धारण करता है और भारतीय संस्कृति तो समस्त मानव जाति का कल्याण चाहती है। इसमें प्राचीन गौरवशाली परंपराओं के साथ ही नवीनता का भी समावेश है और यह विभिन्न सांस्कृतिक धाराओं का महासंगम है, जिसमें सनातन संस्कृति से लेकर वर्तमान विचारधारायें सब कुछ समाहित है, इसलिये युवा पीढ़ी में भारतीय संस्कृति का रोपण, संरक्षण और संवर्द्धन नितांत आवश्यक है।

पूज्य स्वामी कैलाशानंद गिरि जी ने कहा कि भारत में विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक मेला ‘कुंभ’ आयोजित किया जाता है जिसमें लाखों श्रद्धालु गंगा में डुबकी लगाने के लिये एकत्र होते है परन्तु दुर्भाग्य से गंगा सहित हमारी अन्य नदियां धीरे-धीरे प्रदूषित हो रही हैं इसका एक कारण समय के साथ जनसंख्या में वृद्धि, औद्योगीकरण और अन्य कारणों की वज़ह से गंगा एवं उसकी सहायक नदियों में प्रदूषण बढ़ रहा है इसलिये धार्मिक संगठनों को आगे आना होगा ताकि हमारी नदियों के साथ ही हमारी संस्कृति भी बची रहे।

पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज एवं स्वामी कैलाशानन्द जी ने सन्तशक्ति के साथ मिलकर लेकर इन सभी ज्वंलत मुद्दों पर काम करने के लिये चर्चा की जिसे उन्होंने सहर्ष स्वीकार किया।

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