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H.H. Pujya Swami Chidanand Saraswatiji | | Pujya Swamiji Speaks at 2023 All-India Veda Science Conference
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Pujya Swamiji Speaks at 2023 All-India Veda Science Conference

Apr 29 2023

Pujya Swamiji Speaks at 2023 All-India Veda Science Conference

Pujya Swamiji traveled to Delhi today to offer His divine presence to the beautiful proceedings of the 2023 All-India Veda Science Conference, an event that welcomed the former President of India, the Hon’ble Shri Ram Nath Kovindji, who participated as the chief guest; Lok Sabha Speaker, the Hon’ble Shri Om Birlaji; Union Agriculture Minister, the Hon’ble Shri Narendra Singh Tomarji; Union Minister of State for Agriculture and Farmers Welfare, the Hon’ble Shri Kailash Choudhary; Swami Swami Pranavanand Saraswatiji; Shri Swami Sumedhanand Saraswatiji; Hon’ble Shri Dr. Satyapal Singh and so many other distinguished guests.

In His remarks to the participants, Pujya Swamiji reminded us that, with time, “Vedic Wisdom will become Universal Wisdom!”


परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने दिल्ली में आयोजित अखिल भारतीय वेद विज्ञान सम्मेलन में सहभाग कर भारतीय संस्कृति और वेदों के संरक्षण और विकिपीडिया की तरह वैदिक पीडिया बनाने के विषय में चर्चा की।

पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी को माननीय लोकसभा अध्यक्ष श्री ओम बिरला जी, माननीय केन्द्रीय कृषि मंत्री श्री नरेन्द्र सिंह तोमर जी, माननीय केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्यमंत्री श्री कैलाश चैधरी जी, गुरूकुल कांगड़ी विश्व विद्यालय की कुलाधिपति माननीय मंत्री श्री सत्यपाल सिंह जी, श्री अतुल कोठारी जी और वेद परिषद् के विद्वानों ने सम्मानित किया।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि वेद, सनातन संस्कृति के प्राचीनतम ग्रन्थ हैं और हमारी संस्कृति के आधार स्तंभ भी हैं। वेद शब्द का अर्थ ही है “ज्ञान”। ज्ञान का अपार भण्डार है वेदों में। धार्मिक, सामाजिक, आर्थिक तथा राजनीतिक क्षेत्र का ज्ञान समाहित है। वेद विश्व की सबसे प्राचीन लिखित कृतियों में से हैं इसलिये वेदों को संसार का आदि ग्रंथ कहा जाता है। वेदों में आध्यात्मिकता और वैज्ञानिकता, चिकित्सा और स्वस्थ दिनचर्या के अलावा स्वाधीनता और समानता, प्रकृति और पंचमहाभूतों का भी स्पष्ट उल्लेख किया गया है। ऋग्वेद में वैश्विक कल्याण के लिये बड़ा ही दिव्य मंत्र है ’’लोकाः समस्ताः सुखिनो भवन्तु।’’

स्वामी जी ने कहा कि वेदों में उल्लेखित मंत्र आ नो भद्राः क्रतवो यन्तु विश्वतः सर्वे भवन्तु सुखिनः – सब के सुख और कल्याण की कामना करता हैं। ऊँ संगच्छध्वं संवदध्वं -सभी के बीच सौहार्द एवं एकता स्थापित करने वाला दिव्य मंत्र है।

‘‘असतो मा सद्गमय’’, यह केवल एक मंत्र नहीं है बल्कि इसमें जीवन का अध्यात्म है, जीवन जीने का शास्त्र है असत्य से सत्य की ओर, अन्धकार से प्रकाश की ओर मृत्यु से अमरता को प्राप्त बढ़ने का संदेश समाहित है।

वेदों में अमरता से तात्पर्य सम्पूर्णता से है। ऊँ पूर्णमदः पूर्णमिदं पूर्णत्, पूर्ण मुदच्यते, पूर्णस्य पूर्णमादाय, पूर्ण मेवावशिष्यते। ऊँ शान्तिः, शान्तिः शान्तिः। अब समय आ गया है कि ‘‘विकिपीडिया की तरह वैदिक पीडिया बने,’’ पूरे विश्व को घर बैठे-बैठे आनलाइन सभी को वेदज्ञान सुलभ हो सके। वेद हमें जीवन को सफाई, सच्चाई और ऊँचाई की ओर बढ़ने का संदेश देते हैं। वेदभाषा, विश्व भाषा, वेदवाणी विश्ववाणी बने इस हेतु प्रयास करना होगा चूंकि वेद वाणी वसुधैव कुटुम्बकम् की वाणी है इसलिये अब जरूरत है वैदिक विसडम वैश्विक विसडम् बने, वैदिक ज्ञान वैश्विक ज्ञान बने, इस तरह से हमारे विद्वानों को कार्य करना होगा ताकि वेद भाषा जन-जन की भाषा बने और सर्व सुलभ हो ताकि सर्व हित वाले मंत्र सर्व सुलभ मंत्र बने सके।

स्वामी जी ने कहा कि अब समय आ गया है कि हम ’’वेब वल्र्ड से वेद वल्र्ड की ओर बढं़े’’ इससे तात्पर्य है कि वेदों में जो भी मार्गदर्शन है वह सभी के लिये है वेदों में मनुर्भव, मनुष्य बने, मानव बने, इन्सान बने, वेद मानवता और इनसानियत का संदेश देता है।

माननीय लोकसभा अध्यक्ष श्री ओम बिरला जी ने कहा कि वैदिक युग के आर्यों की संस्कृति और सभ्यता को जानने का वेद ही तो एकमात्र माध्यम है। वेदों के माध्यम से हम धर्म, समाज और राजनीति का किस प्रकार विकास किया जाये इसका ज्ञान वेदों में ही समाहित है इसलिये हमारे वैदिक ज्ञान को संरक्षित रखने के साथ वर्तमान पीढ़ियों को वेद से जोड़ना अत्यंत आवश्यक है।

माननीय केन्द्रीय कृषि मंत्री श्री नरेन्द्र सिंह तोमर जी ने कहा कि वेद सार्वजनिक और सार्वभौमिक उत्थान का सर्वश्रेष्ठ माध्यम है।

सभी ने आचार्य बालकृष्ण जी का संदेश वीडियों संदेश के माध्यम से श्रवण किया।

माननीय केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्यमंत्री श्री कैलाश चौधरी जी ने कहा कि भारत के लिये गर्व का विषय है कि यूनेस्को ने ऋग्वेद की 30 पांडुलिपियों को सांस्कृतिक धरोहरों की सूची में शामिल किया है ताकि भावी पीढ़ियों के लिए भारत की दिव्य संस्कृति को संरक्षित किया जा सके क्योंकि वेद, मानव सभ्यता एवं भारतीय संस्कृति के सबसे पुराने महाग्रंथ व लिखित साहित्यिक दस्तावेज हैं और इन्हें संरक्षित करने के साथ ही इसमें समाहित व्यापक ज्ञान को आत्मसात करना हम सभी का परम सौभाग्य है। इस अवसर पर अनेकों विद्वानों ने अपने उद्बोधन दिया तथा वेद के ज्ञान पर अपने शोधपत्र प्रस्तुत किये।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने सभी विशिष्ट अतिथियों को हिमालय की भेंट रूद्राक्ष का पौधा भेंट का परमार्थ निकेतन गंगा आरती में सहभाग हेतु आमंत्रित किया। इस अवसर पर पदमश्री माननीय सुकामा जी, श्री पंड़ित प्रेमपाल जी, प्रोफेसर धमेन्द्र शास्त्री जी, डा देवेश प्रकाश जी, श्री विमल बधावन जी, स्वामी जयंत सरस्वती जी, आचार्य दीपक शर्मा जी, प्रोफसर रचना बिमल जी, परमार्थ निकेतन, ऋषिकेश और कोटद्वार के ऋषिकुमार आदि उपस्थित रहे।

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