
Sacred Rudrabhishek Puja in Chicago
On this last Monday of Shravan, HH Param Pujya Swami Chidanand Saraswatiji , while traveling in the United States, performed a sacred Rudrabhishek puja at the Shiva Temple in Chicago, encouraging all to take a pledge to create Satyam, Shivam and Sundaram – Truth, Godliness and Beauty – in our lives, both within and without.
Pujya Swamiji also applauded Uttarakhand’s Hon’ble Chief Minister, Shri Pushkar Singh Dhami for today’s successful conclusion of the Kanvad Mela – including his keeping the spiritual culture of Uttarakhand “Atithi Devo Bhava” alive by sanctifying the feet of the Kanwariyas and presenting garlands of Rudraksha and Gangajali to the Kanwaris along with Veda mantras. “This scene,” declared Pujya Swamiji, “was really amazing and it is also a sign of our Sanatan culture.”
Pujya Swamiji reminded us that “service of men is service to Narayan – service to man is service to Madhav. Today we are doing Rudrabhishek in Chicago, in the land where Swami Vivekananda presented Hinduism as a tolerant and universal religion in the ‘Vishva Dharma Mahasabha’ organized in 1893. Vivekananda saw Narayan in the poor and considered ensuring and enhancing their welfare to be in the service of God. Even in his historic speech given in Chicago, he declared universal brotherhood and fraternity to be the essence of all religions.”
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने शिकागो, अमेरिका शिव मंदिर में श्रावण के अन्तिम सोमवार किया रूद्राभिषेक
श्रावण के महत्वपूर्ण अवसर पर अपने भीतर व बाहर सत्यम्, शिवम्, सुन्दरम् की सृष्टि निर्मित करने का संकल्प ले
मानव सेवा ही माधव सेवा के सूत्र वाक्य के साथ शाश्वत वैदिक संस्कृति को समर्पित है शिकागो का शिव मन्दिर
सनातन संस्कृति और विरासत को संरक्षित करने हेतु किये जा रहे हैं अद्भुत सेवा कार्य
नर सेवा ही नारायण सेवा-मानव सेवा ही माधव सेवा
स्वामी चिदानन्द सरस्वती
ऋषिकेश, 8 अगस्त। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने शिकागो, अमेरिका में स्थित शिव मन्दिर में आज श्रावण के अन्तिम सोमवार रूद्राभिषेक कर विश्व शान्ति की प्रार्थना की।
मानव सेवा मन्दिर (शिव मन्दिर) शिकागो समिति के सदस्यों और भक्तों को समय-समय पर स्वामी चिदानन्द सरस्वती का मार्गदर्शन और प्रेरणा प्राप्त होती रहती है। स्वामी जी अपने विदेश प्रवास के दौरान समय की उपलब्धता और अनुकूलता के अनुसार मानव सेवा मन्दिर जाकर वहां के कार्यक्रमों में सहभाग करते हैं।
मानव सेवा मंदिर की स्थापना सनातन धर्म के सिद्धांतों पर की गई थी और यह मन्दिर मानव सेवा, वैश्विक शांति और सद्भाव का प्रतीक है। यह न केवल एक उत्कृष्ट पूजा स्थल है, बल्कि यह सनातन संस्कृति के संरक्षण का दिव्य केन्द्र भी है। यहां पर शाश्वत वैदिक संस्कृति के मौलिक आदर्शों के आधार पर पूजा-अर्चना की जाती है।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने श्रावण माह के अन्तिम सोमवार रूद्राभिषेक के पश्चात अपने संदेश में कहा कि माननीय मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी जी ने कांवड मेले को कुम्भ मेले के स्वरूप में सभी सुरक्षाओं के साथ सफलतापूर्वक सम्पन्न किया। क्या अद्भुत दृश्य था जब उन्होंने कांवडियों पर हेलीकाप्टर से फूलों की वर्षा की। आसमान से अचानक अपने उपर फूलों की वर्षा होते देख कांवडियां झूमने लगे। माननीय मुख्यमंत्री जी ने उत्तराखंड की आध्यत्मिक संस्कृति ‘‘अतिथि देवो भव’’ को जीवंत बनाये रखते हुये कांवडियों के पैर पखारे तथा वेदमंत्रों के साथ कांवडियों को रूद्राक्ष की माला और गंगाजली भेंट की। वास्तव मंे यह दृश्य अद्भुत था और यह हमारी सनातन संस्कृति का द्योतक भी है।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि नर सेवा ही नारायण सेवा है-मानव सेवा ही माधव सेवा है। आज हम उस धरती पर रूद्राभिषेक कर रहे हैं जहां पर 1893 ई. में आयोजित ‘विश्व धर्म महासभा’ में स्वामी विवेकानन्द जी ने हिंदू धर्म को सहिष्णु तथा सार्वभौमिक धर्म के रूप में प्रस्तुत किया था। स्वामी विवेकानन्द जी ने दरिद्र में ही नारायण देखा और उनके कल्याण को ही ईश्वर की सेवा माना है। शिकागो में दिये गए अपने ऐतिहासिक भाषण में भी उन्होंने सार्वभौमिक भाईचारा और भ्रातृभाव को सभी धर्मों का सार तत्त्व कहा।
स्वामी जी ने शिवाभिषेक के साथ ही विश्वाभिषेक का संदेश दिया तथा सभी को पर्यावरण एवं प्रकृति के संरक्षण का संकल्प कराया।