logo In the service of God and humanity
Stay Connected
Follow Pujya Swamiji online to find out about His latest satsangs, travels, news, messages and more.
     
H.H. Pujya Swami Chidanand Saraswatiji | | International Day of Contemplation
36439
post-template-default,single,single-post,postid-36439,single-format-standard,edgt-core-1.0.1,ajax_fade,page_not_loaded,,hudson-ver-2.0, vertical_menu_with_scroll,smooth_scroll,side_menu_slide_from_right,blog_installed,wpb-js-composer js-comp-ver-7.5,vc_responsive

International Day of Contemplation

Feb 22 2023

International Day of Contemplation

22 फरवरी, ऋषिकेश। अन्तर्राष्ट्रीय चिंतन दिवस के अवसर पर परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने ‘वैश्विक शांति’ हेतु श्रेष्ठ और सकारात्मक चिंतन का संदेश देते हुये कहा कि वैश्विक शान्ति की संपूर्ण विश्व को आवश्यकता है। वर्तमान समय में ऐसे चिंतन की आवश्यकता है जहां पर मानव हितों के साथ-साथ प्रकृति का भी संरक्षण हो।

‘वल्र्ड थिंकिंग डे’ के अवसर पर परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि “वसुधैव कुटुंबकम्”, शांति एवं सद्भाव भारतीय संस्कृति की मूल विशेषताएं रही हैं इस संस्कृति ने हमें अहिंसा, अस्तेय, अपरिग्रह का पाठ पढ़ाया है। अब समय आ गया है कि प्रत्येक व्यक्ति वैश्विक समस्याओं के प्रति जागरूक और संवेदनशील हो साथ ही उनके समाधान के लिये प्रयास करना ही आज के दिन की सार्थकता है।

स्वामी जी ने कहा कि वर्तमान समय में प्रतिस्पद्र्धा और विकास की दौड़ में कई बार हम नैतिकता और अनैतिकता के बीच का अन्तर ही भूल जाते हंै जिससे आपस में और वैश्विक स्तर पर भी नैतिक मानदंडों का हृास हो रहा है; असमानता बढ़ रही है तथा युवा पीढ़ी भी अपने पथ विचलित होती दिखाई दे रही है इसलिये जरूरी है कि युवाओं को आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ने का चिंतन दिया जाये।

स्वामी जी ने कहा कि वर्तमान समय में न केवल भारत को बल्कि पूरे विश्व को विश्व ‘‘बन्धुत्व, “वसुधैव कुटुंबकम्, सर्वे भवन्तु सुखिनः”, परोपकार, शुचिता, सत्य, प्रेम तथा करूणा आदि मूल्यों और सिद्धान्तों को जीवन मूल्य के रूप में स्थापित करने होंगे तभी आपस में बढ़ती असमानता और वैमनस्यता को समाप्त किया जा सकता हैं। उन्होंने कहा कि वैश्विक स्तर पर व्याप्त समस्त समस्याओं का मूल कारण स्वार्थ से युक्त चिंतन है, हम सभी को उससे बाहर निकलकर सार्वभौमिक कल्याण के मार्ग पर बढ़ना होगा। स्वार्थ संकुचन और परोपकार का विस्तार ही जीवन का सिद्धान्त है।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि परोपकार, दया, करुणा, सत्य और सेवा ये सब सार्वभौमिक मूल्य है इसके बिना संसार में भौतिक विकास तो हो सकता है परन्तु नैतिक विकास रूक जाता है और यही मानवता के पतन का सबसे बड़ा कारण भी है। स्वामी जी ने कहा कि भारतीय संस्कृति वैदिक युग से ही अत्यंत उदात्त, समन्वयवादी एवं जीवंत बनी हुई हैं। भारतीय संस्कृति में वैज्ञानिकता तथा आध्यात्मिकता अद्भुत समन्वय है तथा संपूर्ण विश्व को एक परिवार के रूप में मानने वाली हमारी संस्कृति का दृष्टिकोण हमेशा से ही उदार रहा है आईये आज विश्व चिंतन दिवस के अवसर पर सार्वभौमिक हित और कल्याण की दिशा में बढ़ने का संकल्प लें।

पूरे विश्व में 22 फरवरी को ‘वल्र्ड थिंकिंग डे’ के रूप में मनाया जाता है। यह एक ऐसा दिन है जो हमें याद दिलाता है कि इस विश्व को बेहतर बनाने के लिये हमारी भूमिका क्या होनी चाहिये। हमारे विचार, हमारा मार्गदर्शन और क्रियाकलापों का वैश्विक स्तर पर क्या प्रभाव पडता हंै और हम इस ग्रह को प्रदूषण मुक्त; तनाव मुक्त और शान्ति से युक्त कैसे बना सकते है।

Share Post