
Special Discussion on Water, Environment & Protection of Rivers with Union Minister Shri Nitin Gadkari
H.H. Pujya Swami Chidanand Saraswatiji, President of Paramarth Niketan, and Central Transport and Highway Minister Shri Nitin Gadkari had a special discussion on water, environment, rivers as well as various contemporary topics.
Pujya Swamiji said that in the 2525 kilometer journey of Mother Ganga, dirty drains are still being allowed to flow into Ganga at many places, and that concrete planning is needed to address this. In Uttarakhand, Parmarth Niketan will provide full support in whatever appropriate steps are taken by the government to keep Maa Ganga clean and pollution-free from Gangotri to Haridwar.
Pujya Swamiji said that the most important thing is that Ganga belongs to everyone, rivers belong to everyone, and that while the government is doing good work in its own way, we all have to come forward together and give priority to this work because pure water is the basis of healthy life. If the water is clean, then the society will be healthy and India will be prosperous.
Massive knowledge, technology and expertise is needed to keep Ganga and all other rivers clean, and youth, researchers and professionals must be encourage to cooperate while raising awareness among the masses to keep Ganga clean. Cleaning initiatives are also needed to be taken at the ground level along with technology so that future generations can see the clean and pure Ganges. On this occasion, Swami ji discussed various techniques used for cleaning the water of rivers.
परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और केंद्रीय परिवहन और राजमार्ग मंत्री श्री नितिन गडकरी जी की जल, पर्यावरण और नदियों के संरक्षण पर हुयी विशेष चर्चा
प्रदूषण मुक्त भारत के लिये प्रत्येक व्यक्ति को एक्टिव, क्रिएटिव, इनोवेटिव और इफेक्टिव बनना होगा
नदियों के अस्तित्व को बनाये रखने हेतु जन सहभागिता जरूरी
स्वामी चिदानन्द सरस्वती
ऋषिकेश, 24 अप्रैल। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और केंद्रीय परिवहन और राजमार्ग मंत्री श्री नितिन गडकरी जी की जल, पर्यावरण, नदियों के संरक्षण के साथ ही विभिन्न समसामयिक विषयों पर विशेष चर्चा हुई।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने रूद्राक्ष की माला पहनाकर माननीय नितिन गडकरी जी का अभिनन्दन करते हुये कहा कि श्री गडकरी जी अपने आप में एक ऐतिहासिक पुरूष हैं। वे जो कहते है उसे करते भी हैं, वे एक्टिव है, क्रिएटिव है, इनोवेटिव है और इफेक्टिव भी है। भारत और भारतीयों को श्री गडकरी जी से बहुत आशायें हैं। उन्होंने भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों को उत्कृष्टता के साथ सम्भाला और उनकी स्फूर्ति, गति और शक्ति अद्भुत है। वे जब भी मिलते है, जिससे भी मिलते है दिल खोलकर मिलते है और सभी को प्रोत्साहित करते हैं कि देश को आगे बढ़ाने के लिये हम सभी को एकत्र होकर प्रयास करना होगा ताकि भारत विश्व गुरू के पथ पर आगे बढ़ता रहे।
दिल्ली से देहरादून और दिल्ली से हरिद्वार आने वाले एक्सप्रेस वे के कारण सुविधाजनक सफर के साथ कम समय में पूर्ण होने वाली यात्रा के लिये माननीय मंत्री जी को स्वामी जी ने बधाई दी।
स्वामी जी ने कहा कि माँ गंगा की 2525 किलो मीटर की यात्रा में अभी भी कई स्थानों पर गंदे नालों को गंगा में प्रवाहित किया जा रहा हैं जो कि चिंतन का विषय है। इस हेतु ठोस योजना बनाने की जरूरत है। जहां तक उत्तराखंड की बात है तो गंगोत्री से लेकर हरिद्वार तक माँ गंगा को स्वच्छ और प्रदूषण मुक्त रखने के लिये जो भी उचित कदम सरकार द्वारा उठाये जायेंगे उसमें परमार्थ निकेतन पूर्ण रूप से सहयोग प्रदान करेगा। हम सभी को मिलकर प्रयास करना होगा कि एक भी प्रदूषित व गंदा नाला गंगा जी में प्रवाहित न होने पाये।
स्वामी जी ने कहा कि सबसे महत्वपूर्ण बात है कि गंगा सबकी है, नदियां सबकी हैं, सरकार अपने ढ़ंग से बेहतरीन कार्य कर रही है लेकिन हम सब को भी मिलकर आगे आना होगा तथा इस कार्य को प्राथमिकता देनी होगी क्योंकि शुद्ध जल ही स्वस्थ जीवन का आधार है। जल स्वच्छ होगा तो समाज स्वस्थ होगा और भारत समृद्ध बनेगा। गंगा और अन्य सभी नदियों को स्वच्छ रखने के लिये बड़े पैमाने पर ज्ञान, तकनीक और विशेषज्ञता की आवश्यकता है। जनसमुदाय में जागरूकता बढ़ाने के साथ ही गंगा को स्वच्छ रखने के लिये युवाओं, शोधकर्ताओं और पेशेवरों को सहयोग के लिये प्रोत्साहित कर एक साथ लाने की आवश्यकता है ताकि स्वच्छ गंगा के नारे को हकीकत बनाया जा सके। गंगा को स्वच्छ करने के लिये तकनीक के साथ जमीनी स्तर पर भी पहल करने की जरूरत है ताकि भावी पीढ़ियां भी स्वच्छ और निर्मल गंगा के दर्शन कर पायें।
इस अवसर पर स्वामी जी ने नदियों के जल को स्वच्छ करने हेतु उपयोग मंे लायी जाने वाली विभिन्न तकनीक पर चर्चा की।