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H.H. Pujya Swami Chidanand Saraswatiji | | Divine Bhagwat Katha Ends at Parmarth Niketan
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Divine Bhagwat Katha Ends at Parmarth Niketan

Apr 19 2023

Divine Bhagwat Katha Ends at Parmarth Niketan

परमार्थ निकेतन में आयोजित भागवत कथा की आज पूर्णाहूति हुई परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कथा के दिव्य मंच से श्रद्धालुओं को पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि श्रीमद् भागवत कथा एक ऐसा सम्पूर्ण दिव्य ग्रंथ है जिसके माध्यम से भगवान के अवतारों की विविध कथाओं द्वारा सरल और सहज रूप से आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है। कथा एक ऐसा मार्ग है जो हमें मोक्ष की ओर ले जाता है। इसके द्वारा हम अपने जीवन को आध्यात्मिक बना सकते हैं तथा जीवन को उच्चतम उद्देश्यों की ओर ले जा सकते हैं।

स्वामी जी ने कहा कि कथाओं के माध्यम से हमें जीवन की समस्याओं का समाधान प्राप्त होता है। कथाओं से हम अपने कर्मों की जिम्मेदारी को समझ सकते हैं और अपने जीवन को संतुलित बनाने के लिए ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं।

भगवान के अवतारों की कथाएं हमें न केवल आध्यात्मिकता के दर्शन कराती हैं बल्कि समाज में सद्भाव और समरसता बनाये रखने हेतु भी महत्त्वपूर्ण सन्देश देती हैं ताकि समाज में शांति, समझदारी, त्याग और सहनशीलता जैसे महत्वपूर्ण गुणों की वृद्धि हो सके।

श्रीमद् भागवत कथा के श्रवण से भक्ति और निष्काम कर्म करने का मार्ग प्रशस्त होता है। श्रीमद् भागवत कथा को ज्ञान, भक्ति, वैराग्य और मोक्ष की उपलब्धि के रूप में भी जाना जाता है। श्रीमद् भागवत कथा वर्तमान युवा पीढ़ियों के लिये अत्यंत महत्वपूर्ण है। भागवत कथा संजीवनी के समान है, जब हम अपने जीवन में कहीं भी अटक या भटक जाते हैं तब श्रीमद् भागवत कथा हमें अपने कर्मों की जिम्मेदारी समझने में भी मदद करती है। आज के समय में, जहाँ लोग अपने रोजमर्रा के जीवन के तनाव से पीड़ित हैं ऐसे में श्रीमद् भागवत कथा एक आध्यात्मिक और मानसिक स्थिति तक पहुंचने का मार्ग प्रदान करती है। इसके अलावा, यह हमें अपने परिवार और समाज के साथ भी मेल जोल बनाए रखने की महत्ता समझाती है। कथाओं के माध्यम से हम अपने मन को शांत कर सकते हैं और दिव्यता का अनुभव करते हैं। इसके साथ ही, इस कथा के द्वारा धर्म, आध्यात्मिकता और नैतिकता के महत्व क्या है किस प्रकार हमारे जीवन के लिये आवश्यक है इसका भी ज्ञान कराती है।

श्रीमद् भागवत कथा को आत्मसात करने से जीवन में शांति, समझदारी, त्याग और सहनशीलता के साथ दिन प्रतिदिन आने वाली समस्याओं का सामना करने का ज्ञान भी प्राप्त होता है। आईये कथा के माध्यम से पर्यावरण का संकल्प लेकर यहां से जाये ताकि आने वाली पीढ़ियों के लिये सुरक्षित भविष्य का निर्माण किया जा सके।

कथा व्यास डा राम शरण जी महाराज के श्री मुख से हो रही भागवत कथा का खरकिया परिवार के सदस्यों के सात दिनों तक बड़ी ही श्रद्धा और आस्था के साथ श्रवण किया। साथ ही परमार्थ निकेतन के दिव्य वातावरण में गंगा स्नान और गंगा आरती का आनन्द लिया। उन्होंने कहा कि स्वर्ग तो हमने नहीं देखा हैं लेकिन परमार्थ निकेतन किसी स्वर्ग से कम नहीं है। पूज्य स्वामी जी के पावन सान्निध्य में हो रही गंगा आरती भावविभोर कर देती है, समाधि की ओर ले जाती है; आनन्द की सृष्टि का निर्माण करती है यहां आकर जीवन कृतकृत्य और धन्य-धन्य हो गया। विशेष कर युवाओं ने कहा कि यहां आकर हमें जो प्राप्त हुआ वह अवर्णनीय है, ऐसा लगता है कि हमंें प्रतिवर्ष यहां आना चाहिये।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कथा व्यास डॉ राम शरण जी महाराज और यजमान खरकिया परिवार को परमार्थ निकेतन की हरित भेंट रूद्राक्ष का पौधा भेंट किया। विभिन्न राज्यों से आये श्रद्धालुओं को प्रसाद स्वरूप दिव्य गंगा आरती, पूज्य स्वामी जी का सान्निध्य, सत्संग, योग, ध्यान और विश्व शान्ति हवन में आहुतियां समर्पित करने का परम सौभाग्य भी प्राप्त हो रहा है।

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