मेरी झोपड़ी के भाग आज खुल जायेंगे राम आयेंगे
पूज्य स्वामीजी ने दिया संदेश - परमात्मा की दिव्य कृपा के लिये किसी वस्तु की नहीं बल्कि भाव की; भक्ति की आवश्यकता है। माता शबरी का पवित्र हृदय, भक्ति, भाव और प्रेम के बल पर स्वंय प्रभु श्री राम उनकी झोपड़ी में आयें और प्रेमवश उनके जूठे बेर खाये। भक्त का भाव हो तो प्रभु कृपा अवश्य बरसती हैं।...
प्रभु श्री राम की परम भक्त व ऋषि मतंग की शिष्या शबरी (श्रमणा) की जयंती पर उनकी दिव्य भक्ति, आस्था को नमन।
On the birth anniversary of Shabari (Shramana), the supreme devotee of Lord Shri Ram and disciple of sage Matang, salutations to her divine devotion and faith....
22 फरवरी, ऋषिकेश। अन्तर्राष्ट्रीय चिंतन दिवस के अवसर पर परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने ‘वैश्विक शांति’ हेतु श्रेष्ठ और सकारात्मक चिंतन का संदेश देते हुये कहा कि वैश्विक शान्ति की संपूर्ण विश्व को आवश्यकता है। वर्तमान समय में ऐसे चिंतन की आवश्यकता है जहां पर मानव हितों के साथ-साथ प्रकृति का भी संरक्षण हो।
‘वल्र्ड थिंकिंग डे’ के अवसर पर परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि “वसुधैव कुटुंबकम्”, शांति एवं सद्भाव भारतीय संस्कृति की मूल विशेषताएं रही हैं इस संस्कृति ने हमें...
ऋषिकेश, 21 फरवरी। अन्तर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के अवसर पर परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि ‘‘माँ, मातृभूमि और मातृभाषा ये तीनों ही संस्कारों की जननी हैं।’’ मातृभाषा हमें अपने मूल और मूल्यों से जोड़ती है। माँ से जन्म, मातृभूमि से हमारी राष्ट्रीयता और मातृभाषा से हमारी पहचान होेती है इसलिये जरूरी है कि हम कम से कम अपने घर-परिवार में अपनी मातृभाषा में ही वार्तालाप करें ताकि आने वाली पीढ़ियाँ भी भाषा के माध्यम से अपनी संस्कृति, संस्कार और मूल को जान सकंे।
भारत की संस्कृति...
ऋषिकेश, 20 फरवरी। आज के दिन को पूरे विश्व में ‘विश्व सामाजिक न्याय दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। इसका उद्देश्य है सामाजिक न्याय को बढ़ावा देना तथा गरीबी, लैंगिक असमानता, बेरोजगारी को दूर कर मानव अधिकार, सामाजिक सुरक्षा और सतत विकास को बढ़ावा देना। सामाजिक न्याय से तात्पर्य है कि सभी राष्ट्रों को शांतिपूर्ण सह.अस्तित्व और सतत विकास के लिये प्रकृति अनुकूल आवश्यक सूत्रों का पालन करना।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि हिन्दू धर्म में न्याय दर्शन की अत्यन्त प्राचीन परम्परा रही है। वैदिक दर्शनों में षड्दर्शन...
अद्म्य साहस के धनी, योग्य सेनापति, कुशल राजनीतिज्ञ तथा महान शासक छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती पर नमन करते हुये पुज्य स्वामी जी ने भारतीय संस्कृति के मूल्यों, प्राचीन गौरवशाली सूत्रों, सिद्धान्तों एवं परंपराओं से जुड़े रहने के साथ ही अपने आप में निरंतर नवीनता का समावेश करने का दिया संदेश।
While paying a heartfelt tribute to Chhatrapati Shivaji Maharaj on his birth anniversary! Pujya Swami ji shares the message of being connected to the values of Indian culture, ancient glorious formulas, principles and traditions, and keeping innovations in your life....
We pray that we can use the power of our puja, our prayers and our meditation on this upcoming sacred night of Mahashivratri for divine intervention within ourselves so that the good might vanquish the evil; the nectar within us, rather than the poison, can emerge; and, that we may be carried from death to immortality....
ऋषिकेश, 13 फरवरी। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द ने आज भारत की कोकिला सरोजनी नायडू जी के जन्मदिवस पर भावभीनी श्रद्धाजंलि अर्पित करते हुये कहा कि भारत की स्वतंत्रता की लड़ाई में अनेक भारतीय महिलाओं ने अपना योगदान प्रदान किया हैं। उन्होंने दिखा दिया कि भारतीय समाज एक सशक्त समाज है और यही इसका अमूर्त पहलू भी है। भारत में महिला सशक्तिकरण भारतीय समाज एवं संस्कृति का अहम हिस्सा रहा है।
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अहम योगदान निभाने वाली सरोजनी नायडू जी एक कवयित्री थी। अत्यंत मधुर स्वर में अपनी...
‘माघ पूर्णिमा’ कल्पवास की पूर्णता का पर्व है। संकल्प की संपूर्ति, आनंद और उत्साह का पर्व है। माघी पूर्णिमा के अवसर पर भगवान विष्णु गंगाजी में निवास करते हैं इसलिये इस दिन गंगाजी में स्नान, ध्यान और गंगा जल के स्पर्शमात्र से आत्मिक आनन्द और आध्यात्मिक सुखों की प्राप्ति होती है।
आज के दिन नदियों में केवल एक डुबकी और एक आचमन नहीं बल्कि आत्ममंथन की डुबकी लगाये और अपने जीवन को अमृत कलश से भर लें।
’’जल चेतना जन चेतना बने’’, ‘‘जल क्रान्ति जन क्रान्ति बने’’ और ‘‘जन आन्दोलन जल आन्दोलन...
ऋषिकेश, 3 फरवरी। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने वन संरक्षण सप्ताह के अवसर पर पौधा रोपण का संदेश देते हुये कहा कि वन है तो जीवन है।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि उत्तराखंड, वन और जल संपदा से युक्त प्रदेश है। वनों को सबसे अधिक खतरा वनाग्नि से होता है। वनाग्नि, मानव, प्रकृति तथा वन्य जीव जंतुओं सभी के लिये खतरा है। जंगलों की आग के कारण न केवल जीवों का बल्कि मानव का जीवन भी प्रभावित होता है।
अप्रैल-मई में अक्सर देश के विभिन्न हिस्सों...